About Careers Internship MedBlogs Contact us
Medindia
Advertisement

क्या आप भी खर्राटे भरते हैं ? इन उपायों को अपनाएं मिलेगी राहत !

View in English
Font : A-A+

खर्राटे क्यों आते हैं ?

खर्राटों का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में एक ऐसा चित्र उभरता हैं, जिसमें व्यक्ति सोते हुए व्यक्ति के नाक या मुंह से आवाज निकलती हैं । कच्ची नींद रखने वालो को ये आवाजें काफी परेशान करती हैं । आदतन खर्राटे भरना, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया सिंड्रोम (ओ एस ए एस) का प्रकार कहा जाता हैं । सोते समय सांस लेने में व्यवधान होने से जो आवाज निकलती हैं उसे खर्राटे कहते हैं । ओरोफारयंगेअल दीवार में जब कम्पन होता हैं तो खर्राटे की आवाज निकलती हैं। किसी कारण से सांस के बाहर जाने के रास्ते में रुकावट या बदलाव आने से भी खर्राटे आते हैं ।

Advertisement
खर्राटों का मुख्य कारण :
  • ऊपरी साँस मार्ग में कंपन
  • ऊपरी साँस मार्ग की नलिकाओं के अनुभागीय क्षेत्र में कमी
  • नींद
  • छाती से उत्पादित ध्वनि
  • ऊपरी साँस मार्ग में, बाधित हवा प्रवाह
  • कफ (श्लेष्मा) की वृद्धि से, ऊपरी साँस मार्ग में रूकावट होने से
सरल खर्राटें नींद को प्रभावित नहीं करते। हल्की नींद वाले रात भर समान रूप से खर्राटे लेते हैं, जबकि गहरी नींद वाले, जोर से और देर तक खर्राटे भरते हैं।

अमेरिकी नींद विकार संस्था ने, शरीर की स्थिति, खर्राटों की तीव्रता और साथ में सोने वालों की नींद में खलल, किस स्तर का हैं, उसके आधार पर खर्राटों को तीन स्तरों में वर्गीकृत किया हैं । साधारण, मध्यम (प्राथमिक) और गंभीर (ऊपरी साँस मार्ग)। साधारण खर्राटें लेने वाले व्यक्तियों को, उनकी नींद में खलल नहीं होता हैं। मध्यम खर्राटें लेने वाले व्यक्तियों की नींद में 5-6 बार खलल पड़ता हैं। लेकिन गंभीर खर्राटें भरने वालों की नींद में, रात भर बाधा पड़ती रहती हैं, जिससे ठीक से न सोने के कारण दिन भर उनमें उनींदापन रहता हैं। सोते वक़्त उनके खर्राटों की तीव्रता काफी ज्यादा होती हैं और बीच में नींद खुल जाने से यह कम हो जाती हैं।

स्लीप एप्निया में मरीज की साँस 10 सेंकंड़ के लिये बंद हो जाती हैं। आम तौर पर अधिकांश स्लीप एप्निया वाले, गंभीर खर्राटें से भी ग्रस्त होते हैं। इसके कारण दिन में नींद आना, लकवा, हृदय रोग और उच्च रक्तचाप की आशंका बढ़ जाती हैं। इसमें खर्राटें लेने की तीव्रता बढ़ जाती हैं । यह समस्या विश्व भर में साठ प्रतिशत पुरूषों और चालीस प्रतिशत महिलाओ में पायी जाती हैं। बीस प्रतिशत बच्चे कभी-कभी खर्राटे भरते हैं । वहीं दो प्रतिशत बच्चे खर्राटे की गंभीर समस्या से पीड़ित रहते हैं, जो कि साँस लेने में समस्या के कारण होता हैं ।

खर्राटे क्यों आते हैं ?

शोध में पाया गया हैं की पुरुषों और महिलाएं अलग-अलग तरह से खर्राटे लेते हैं । महिलाओं में यह बीमारी पुरषों की अपेक्षा कम होती हैं । वहीं मनोचिकित्सकों का मानना हैं कि महिलाओं को उनके खर्राटे के बारे में बताकर, शर्मिंदगी महसूस कराकर, इस आदत को रोका जा सकता हैं । विज्ञान के अनुसार स्त्री और पुरूष की विभिन्न शरीर रचना का असर उनके खर्राटे लेने के तरीकों पर भी पड़ता हैं । शराब पीकर खर्राटे लेना पुरुष व महिला दोनों में आम बात हैं ।



महिलाओ में खर्राटे की वजह :

पुरुषों की अपेक्षा बहुत कम ही ऐसी महिलाएं होती हैं जो खर्राटे लेती हैं । इसके कई कारण होते हैं जो इस प्रकार हैं :
  • गर्भावस्था
  • तनाव
  • शरीर में चर्बी का वितरण
  • एस्ट्रोजन/प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम होने की वजह से
  • मासिक धर्म के दौरान
  • आयु बढ़ने पर
  • छोटे जबड़े और ओरोफारयनक्स की वजह से ।
पुरुषों में खर्राटे की वजह :

विश्व के 60 प्रतिशत पुरुष सोते समय खर्राटे लेते हैं । इसके कई कारण हैं जो कुछ इस प्रकार हैं :
  • मोटापा
  • बढ़ती उम्र
  • टेस्टोस्टेरोन का बढ़ जाना
  • ऊपर वाले श्वांस द्वार का लंबा होना व उसमे अवरोध होने से
  • लंबे जबड़े और ओरोफारयनक्स की वजह से
  • कंठनाली लटकने की वजह से आदि ।
खर्राटे रोकने के प्राकृतिक उपाय :

मोटापा, पीठ के बल लेटे रहने से, शराब पीने की वजह से और नाक में कुछ बाधा आने की वजह से खर्राटे की समस्या होती हैं । इस समस्या से छुटकारा निम्न तरीकों को अपना कर पाया जा सकता हैं :-

वजन कम करना : व्यक्ति को अपना वजन कम करने के उपायों पर काम करना चाहिए, क्योंकि खर्राटे का सीधा सम्बन्ध व्यक्ति के वजन, गर्दन की चौड़ाई से होता हैं । वजन कम करने से खर्राटे की समस्या से निज़ात मिलती हैं । हालांकि व्यक्ति को वजन कम करना काफी कष्टप्रदायी लगता हैं ।

सोने की अवस्था या मुद्रा में बदलाव : जो व्यक्ति अपनी पीठ की बल सोता हैं, वह बहुत जोर से खर्राटे लेता हैं । तकिया, मसनद या शरीर के नीचे कुछ ऊंचा लगा देने से खर्राटे नहीं आते हैं । इस तरीके से कुछ लोगो को फायदा हो सकता हैं, वहीं दूसरों को कुछ और उपाय करने की जरुरत हैं ।

नाक की दवा का प्रयोग : नाक में किसी प्रकार की बाधा होने पर, उसके लिए दवा का इस्तेमाल करना चाहिए । यह नाक की बाधा को दूर करता हैं । यह खर्राटे की आवाज और आव्रिति को भी कम करता हैं । बाज़ार में कई तरह की आंतरिक और बाहरी उपयोग की दवायें उपलब्ध हैं । आजकल बाहरी उपयोग के लिये दो किस्म की दवाई युक्त पट्टीयाँ आती हैं, एक बार उपयोग करने वाली और अनेक बार उपयोग करने वाली ।



होम्योपैथी : होम्योपैथी दवा के सेवन से खर्राटे लेने की आदत काफी हद तक (80 प्रतिशत) छूट जाती हैं ।

आरोफरेंजियल स्प्रे : इस के इस्तेमाल से खर्राटे लेना 30 प्रतिशत कम हो जाता हैं ।

अरोमाथैरेपी : पुदीना का तेल, कुठार का तेल ऐसे तैलीय पदार्थ हैं, जिनकी गर्दन पर मालिश करने से वायु मार्ग को काफी आराम मिलता हैं ।

शराब ना पीयें : शराब पीने से, उसके शामक प्रभाव के कारण, वायु मार्ग के ऊपरी हिस्से में बाधा आती हैं । ऐसी अवस्था में व्यक्ति के सीने की मांसपेशियां, नाक द्वारा हवा की गति को नियंत्रित करने में प्रभावी नहीं होती । शराब के असर से नींद के शुरुआती दौर में खर्राटे आते हैं । खर्राटों की तीव्रता, विभिन्न शरीर रचना वाले व्यक्ति और उनके पीने की मात्रा पर निर्भर करती हैं । इसलिए खर्राटों से बचने के लिए व्यक्ति को शराब को हाथ भी नहीं लगाना चाहिए ।

आहार : प्याज, लहसुन, अजवाइन और सहजन खर्राटे कम करने के लिए काफी सहायक होते हैं । हर्बल चाय और गर्म पेय नाक के वायु मार्ग को नम करता हैं । उस गर्म पेय में शहद मिला देने से यह नाक के रास्ते में अधिक कम्पन्न होने से रोकता हैं ।



गले और गर्दन का आसान अभ्यास :
  • नीचे के दांत को इतनी जोर से पीछे धकेले कि जब तक की बगल के गर्दन की मांसपेशी तन न जाए ।
  • दांतों को कस कर दो मिनट तक दबा कर रखें । आपको एहसास होगा की गर्दन की मांसपेशी सख्त हो गयी हैं ।
  • ठुड्डी पर बल लगा कर तब तक कसे, जब तक की गर्दन की मांसपेशी तन न जाए। गाना गाने से गले की मांसपेशी को आराम मिलता हैं।
रॉयल डिवॉन एंड एक्सेटर (एन एच एस) फाउंडेशन ट्रस्ट ने अपने शोध में पाया हैं कि गाना गाने से व्यक्ति की खर्राटे की समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता हैं । कुछ आवाजों के अभ्यास से, जैसे कि ‘अंग और गर’ ध्वनि से गर्दन की मांसपेशीयों को तनने में मदद मिलती हैं ।

Post a Comment
Comments should be on the topic and should not be abusive. The editorial team reserves the right to review and moderate the comments posted on the site.
Advertisement
This site uses cookies to deliver our services. By using our site, you acknowledge that you have read and understand our Cookie Policy, Privacy Policy, and our Terms of Use