कृती जैन द्वारा लिखित | शैला श्रॉफ द्वारा समिक्षित लेख on Aug 3 2016 1:54AM
पीठ दर्द क्या हैं ?
आज न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में लोग पीठ दर्द की समस्या से जूझ रहे हैं। खास तौर से युवा वर्ग इससे ज्यादा परेशान हैं। दरअसल हमारी पीठ उस रीढ़ की हड्डी के सहारे टिकी होती हैं, जो 33 हड्डियों, लचीली हड्डियों वाले स्नायु बंधन एवं मांसपेशियों आदि से बनी होती हैं। काम के दौरान घंटों बैठने, भारी काम करने से मोच, गलत ढ़ंग से बैठने तथा अचानक झुकने आदि से, इन सहायक तंत्रों को नुक्सान होता हैं, जिसका सीधा असर रीढ़ की हड्डी पर पड़ता हैं और जो आगे चलकर पीठ दर्द का रूप धारण कर लेता हैं। बाद में यही गंभीर बीमारी का रूप ले लेता हैं। पीठ दर्द के कारण कई अन्य रोग भी हो सकते हैं जैसे डिस्क खिसकना, स्पॉन्डिलाइटिस और कोशिकाओं का टूटना आदि।
पीठ दर्द के कारण ?
पीठ दर्द के कई कारण हो सकते हैं...
- चोट : पीठ दर्द, डिस्क खिसकने, हड्डियों के टूटने की वजह से हो सकता हैं। गलत मुद्रा में भारी वजन उठाते समय, अचानक चोट या दुर्घटना के कारण हड्डियां या लचीली हड्डियां प्रभावित हो जाती हैं। इसके अलावा कभी-कभी झुकने की वजह से मांसपेशियों में आने वाला खिंचाव भी पीठ दर्द का कारण बन जाता हैं।
- पीठ की मांसपेशियों में अधिक खिंचाव : कभी-कभी भारी अभ्यास या भारी वजन उठाने से भी पीठ दर्द हो सकता हैं। इसके अलावा एक ही स्थान पर अधिक समय तक बैठे रहने से भी पीठ दर्द की समस्या पैदा हो जाती हैं। गलत ढ़ंग से बैठना एवं कुर्सी के गलत प्रयोग से लचीली हड्डियां प्रभावित हो जाती हैं, जिसकी वजह से पीठ दर्द शुरू हो जाता हैं।
- हड्डी क्षय होने की दशा (अस्थि संधि) : कुछ हड्डी जनित रोग जैसे की अस्थि सुषिरता, रीढ़ की हड्डी को प्रभावित कर, पीठ दर्द का कारण बन सकते हैं। इस तरह का दर्द कहीं एक जगह नहीं होता वरन यह कंधो, कूल्हों, पैर और गर्दन तक बढ़ता जाता हैं। दरअसल यह बीमारी हड्डियों को कमजोर बनाकर इन्हें नुकसान पहुंचाती हैं।
- गठिया रोग : रीढ़ की हड्डी में गठिया की वजह से गर्दन में कड़ापन और दर्द होता हैं। इसके अलावा यह पैर और कंधे में भी अकड़न ला सकता हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस से भी रीढ़ की हड्डी का रोग हो सकता हैं , क्योंकि इसमें रीढ़ की हड्डियों के बीच की जगह कम हो जाती हैं।
- कंकाली अनियमितताएं : अचानक चोट रीढ़ की हड्डी में मुख्यतः इसकी कोशिकाओं में, ढांचागत बदलाव ला सकती हैं। स्कोलियोसिस ऐसी अवस्था हैं, जिसमे रीढ़ की हड्डी मुड़ने लगती हैं और दर्द होता हैं।
- पीठ दर्द के लिए अन्य कारण पुराने रोग जैसे कैंसर, मनोवैज्ञानिक परिस्थिति, धूम्रपान, गर्भावस्था, मोटापा, बुढ़ापा और उचित व्यायाम की कमी आदि हैं।
- हल्का पीठ दर्द एक हफ्ते या उससे ज्यादा दिन तक का होता हैं, जिसे व्यायाम या दवा से ठीक किया जा सकता हैं। हालांकि गंभीर पीठ दर्द में तुरंत चिकित्सकीय परामर्श की आवश्यकता होती हैं। यहां कुछ ऐसे घरेलू उपाय दिए गए हैं जिससे पीठ के दर्द में काफी राहत मिलती हैं।
पीठ दर्द को दूर करने के घरेलू उपचार :
1.
व्यायाम का बेहतर अभ्यास : व्यायाम दर्द दूर करने का बेहतर उपाय हैं। पीठ और पेट का व्यायाम मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनने में मदद करता हैं। इससे मोच और अचानक चोट से होने वाले दर्द में भी आराम मिलता हैं। नियमित व्यायाम और योग से मांसपेशियों में ऐंठन और चोट की समस्या से राहत मिलती हैं। गम्भीर पीठ दर्द के समय फिजिकल थैरेपिस्ट का इलाज काफी लाभकारी होता हैं। दर्द की जगह पर गर्मी और उत्तेजना पैदा कर उसे ठीक करने के लिए थैरेपिस्ट के बताए गए अभ्यास पीठ दर्द को कम करने में काफी लाभकारी होता हैं।
2.
अर्गोनोमिक्स : अर्गोनोमिक्स (कर्मचारी परिस्थिति विज्ञान) के अनुसार काम की जगह को इस प्रकार डिजाइन की जाए कि वह आरामदायक, सुरक्षित और उत्पादनपरक हो । कार्यस्थल पर बैठने की जगह, डेस्क एवं कुर्सी आदि आरामदायक एवं अनुकूल होने चाहिए ताकि आस-पास की जगह पर आराम से घूमा जा सके । बैठने का गलत तरीका भी पीठ दर्द के मुख्य कारणों में से एक हैं । डेस्क के चारो और घूमना और पैरों को गलत तरीके से रखना पीठ के ऊपरी कंधों और गर्दन में दर्द पैदा कर सकता हैं। बैठते समय पीठ के निचले हिस्से को सहारा देने वाली आरामदायक कुर्सी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसके अलावा पैरों को नीचे जमीन पर रखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि घुटने, कूल्हे व कमर के ऊपर हो क्योंकि यहीं बैठने का सही तरीका हैं।
3.
भार उठाना : भार उठाने या भारी वस्तु को उठाते समय उसका सही तरीका आना चाहिए क्योंकि गलत तरीके से बोझ या भारी सामान उठाने की वजह से मांशपेशियों में खिचाव अथवा डिस्क खिसकने की वजह से से रीढ़ की हड्डी को हल्का या भारी नुकसान हो सकता हैं। व्यक्ति को भारी वजन उठाते समय घुटने नीचे और पीठ सीधी रखनी चाहिए। कूल्हों से झुकने की वजह से दुर्घटना हो सकती हैं या चोट आ सकती हैं।
4.
मोटापा : लंबे समय तक मोटापा, पीठ दर्द का कारण बन सकता हैं। दरअसल शरीर का भारी वजन पीठ पर भार डालकर उसे कमजोर और दर्द भरा बना देता हैं। नियमित व्यायाम और संतुलित आहार वजन को कम और शरीर को स्वस्थ बनाता हैं।
5.
बर्फ से सिकाई : दर्द कम करने में बर्फ की सिकाई काफी मददगार साबित होती हैं। किसी जगह पर चोट लगने की वजह से होने वाले पीठ के दर्द में बर्फ की सिकाई करने से काफी आराम मिलता हैं। यदि दुर्घटना के 24-48 घंटों के अंदर आइस थैरेपी दी जाए तो उससे सूजन तुरंत कम हो जाती हैं। इसके नियमित प्रयोग से दर्द में भी काफी आराम मिलता हैं।
6.
शांत रहना : व्यक्ति को काम के समय आराम और घूमते रहना भी अत्यंत आवश्यक हैं। एक ही जगह पर लम्बे समय तक बैठने की वजह से पीठ, कंधे और गर्दन का दर्द हो सकता हैं। हाथ-पैर खींचने तथा बीच-बीच में घूमने-फिरने से पीठ पर जोर नहीं पड़ता हैं जिससे पीठ के दर्द की संभावना कम होती हैं। अत: हमें काम करते समय भी बीच-बीच में घूमते-फिरते और आराम करते रहना चाहिए।
7.
अच्छी नींद : दर्द रोकने क लिए सबसे बेहतर उपाय आराम और अच्छी नींद हैं। व्यक्ति को ऐसे कड़े बिस्तर पर सोना चाहिए जिसपर पीठ सीधी टिकती हो। मुलायम और आरामदेह गद्दे पर सोने से पीठ सीधी नहीं रहती और दर्द की संभावना बढ़ जाती हैं।
8.
भरपूर कैल्शियम लेवें : ऑस्टियोपोरोसिस और गठिया सबसे हानिकारक रोग हैं। ये हड्डी और मांसपेशियों को कमजोर बनाते हैं। कैल्शियम और विटामिन-डी का सेवन इन कमजोरियों को दूर करता हैं। कैल्शियम युक्त भोजन जैसे मांस, मछली, हरी सब्जी और फल शरीर में कैल्शियम की मात्र बढ़ाते हैं। हमेशा याद रखें कि कैल्शियम, विटामिन-डी और अन्य पोषक तत्व अपने भोजन के माध्यम से लें इससे दवाइयों पर निर्भरता घटती हैं।
9.
स्वस्थ आहार : आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर भोजन शरीर में कम खनिज की मात्र को पूरा करता हैं, जो पीठ दर्द कम करने में सहायक होता हैं। वैसा आहार लेवें जिसमे प्रोटीन, ओमेगा 3 फैटी एसिड, फॉस्फोरस और फाइबर होता हैं। ये पोषक तत्व दर्द को कम करने में सहायक और गठिया व ऑस्टियोपोरोसिस रोगों को बढ़ने से रोकता हैं। सूजन और दर्द को कम करने के लिए ब्रोमेलेन जो अनानास में मिलता हैं काफी लाभकारी एंजाइम होता हैं।
10.
धूम्रपान न करें : धूम्रपान करने से पीठ दर्द और बढ़ सकता हैं। धूम्रपान स्वस्थ रक्त परिसंचरण को प्रभावित करता हैं और रोग को ठीक होने की प्रक्रिया में बाधा लाता हैं। धूम्रपान से हड्डिया कमजोर होती जाती हैं। जैसे ही पीठ में दर्द का एहसास हो धूम्रपान छोड़ देना चाहिए।
11.
तेल और मालिश : पुदीना तेल, लहसुन, नारियल या तिल का तेल, सरू तेल और टी ट्री तेल से मिश्रित, इस जड़ी बूटी के तेल से पीठ की मालिश करने से दर्द में आराम मिलता हैं। इससे सूजन काम होती हैं और हड्डियों व मांसपेशियों को आराम मिलता हैं। मालिश में उपयोग में लाए जाने वाले तेल में ऐसे पदार्थ मिले होते हैं, जो दर्द के हिस्से में गर्मी देते हैं, जिससे प्रभावित हिस्से का दर्द कम होता हैं आराम मिलता हैं।
ये घरेलू उपाय काफी प्रभावी हैं और पीठ के दर्द में काफी लाभकारी होते हैं। अगर आपका दर्द ज्यादा हो असहनीय हो तो तुरंत डॉक्टर और थैरेपिस्ट से संपर्क करें।