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लॉकडाउन के ठीक बाद जिम में आक्रामक व्यायाम करना किडनी की असफलता का कारण बन सकता है, डॉक्टरो द्वारा चेतावनी ।

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डॉक्टरों के अनुसार आधिक्य में आक्रामक व्यायाम करने से नियमित रूप से जिम जाने वालों में रेबडोमायोलिसिस होने की संभावनायें बढ़ सकती है।

पटपड़गंज के मैक्स सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल के डॉक्टरों ने सामने एक रोगी का अजीबोगरीब मामला सामने आया, जिसमें उनको दिल्ली के एक 18 वर्षीय युवक को पहले ही दिन के वर्कआउट करने के बाद आई.सीयू में डायलिसिस करना पड़ा।

4 महीने से अधिक के लंबे अंतराल के बाद अपने दोस्त के जिम में लक्ष्य बिंद्रा ने फिर से कसरत शुरू की। अति उत्साह में, उन्होंने एक घंटे से अधिक समय तक जोरदार व्यायाम किया। बाद में शाम को, वह अत्यधिक मांसपेशियों की थकान, शरीर की अकड़न, दर्द और उल्टी से पीड़ित होने लगे। शुरुआत में, उन्होंने माना कि लंबे अंतराल के बाद व्यायाम करने से उनकी यह स्थिति हो गई हैं। लेकिन, जब उनकी हालत तीन दिनों में बिगड़ती चली गई, तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।

लक्षण और परिक्षण:
जब मरीज अस्पताल में आया था, तो उसे पेट में तेज दर्द, पेशाब की मात्रा कम होने के साथ काले रंग का पेशाब आ रहा था और लीवर और गुर्दों ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया था।

परिक्षण करने से पता चला कि लक्ष्य को रेबडोमायोलिसिस हो गया हैं। यह एक असाधारण स्थिति थी कि जब एक युवा व्यक्ति की चरम शारीरिक गतिविधि से मांसपेशियाँ टूट गई और अचानक किडनी ने काम करना बंद कर दिया। यह रेबडोमायोलिसिस का एक सामान्य कारण है।

उन्हें तुरंत आईसीयू में ले जाया गया और जलीकरण प्रक्रिया (हाइड्रेशन) को बनाए रखने और उनकी मांसपेशियों को पोषक तत्व प्रदान करने के लिए आई.वी. से तरल पदार्थों को शुरू कर के उन्हें दिन में दो बार डायलिसिस किया गया। बाद में, मांसपेशियों को शांत करने के लिए कई दिनों तक हल्की कसरत की चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) दी गई, जैसे-जैसे दिन बीतते गए, मरीज में सुधार होने लगा। उसकी मांसपेशियों की अकड़न और दर्द धीरे-धीरे कम होने लगा, यहां तक कि उसने धीरे-धीरे मांसपेशियों की शक्ति भी हासिल कर ली। एक हफ्ते के इलाज के बाद लक्ष्य को छुट्टी दे दी गई।

रेबडोमायोलिसिस के कारण:
युवा वर्ग बंद के दौरान खोई हुई मांसपेशियों और चपलता को फिर से शीघ्र हासिल करने की मानसिकता के साथ जिम आ रहे हैं। लेकिन उनकी उत्सुकता अगर रोकी नहीं की गई, तो उन्हें रेबडोमायोलिसिस जैसी तीव्र स्वास्थ्य हानीकारक स्थिति का सामना करना पड़ सकता हैं। लंबे अंतराल के बाद आक्रामक कसरत से मांसपेशियों में ऐंठन, मांसपेशियों में दर्द और मांसपेशियों में खराबी आ सकती है। इस स्थिति में, मायोग्लोबिन एंजाइम रक्त में निकलता है जो रक्तप्रवाह में मिश्रित हो कर गुर्दे में जाता है, जिससे गुर्दे विफल भी हो जाते है

शरीर का अत्यअधिक थकना (ओवरएक्सर्ट):
प्रत्येक व्यक्ति का शरीर अलग होता है और व्यायाम करने से अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है। हर मांसपेशी में भार लेने की अपनी क्षमता होती है, और अपने शरीर की सीमाओं को जानना बहुत आवश्यक है। लॉकडाउन में गतिहीनता के कारण लोग घर से काम करते समय अपनी कुर्सियों और बिस्तर से चिपके रहते थे, ऐसे में उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। कसरत छोड़ने के दो हफ्ते बाद हमारा शरीर सख्त होने लगता है। आराम करने के दौरान मांसपेशियों के तंतु कमजोर हो जाते हैं। शरीर के उचित जलीकरण (हाइड्रेशन) से धीरे-धीरे मांसपेशियों को खोलने से लोगों को रेबडोमायोलिसिस के खतरे से बचाया जा सकता है।

कसरत को फिर से शुरू कर के, धीरे-धीरे क्षमता का पुनर्निर्माण करना अत्यावश्यक हैं। पिछले कसरत शासन से 24 से 30 फीसदी कम के साथ शुरुआत करें। कसरत शुरू करने के चार सप्ताह के भीतर कोई गहन और आक्रामक कसरत नहीं की जानी चाहिए। इस अवधि में धीरज से और कम तीव्रता पर आधारित वर्कआउट किए जाने चाहिये।
स्रोत:
मैक्स अस्पताल पटपड़गंज:
• गुर्दा प्रत्यारोपक वरिष्ठ चिकित्सक, डॉ.दिलीप भल्ला
• आपातकालीन चिकित्सक डॉ. अब्बास अली खातई
आकाश हेल्थकेयर एंड सुपर-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, द्वारका:
• वरिष्ठ फिजियोथेरेपिस्ट डॉ.मिनाक्षी फुलारा
भारतीय स्पाइनल इंजरी सेंटर, वसंत कुंज:
• फिजियोथेरेपी विभाग प्रमुख डॉ. चित्रा कटारिया
‘ऐनीटाईम’ जिम, वैशाली, गाजियाबाद:
• फिटनेस ट्रेनर रितिक महेश
• आई.ए.एन.एस.

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