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ऑटिज़्म और बुढ़ापा: स्वास्थ्य जोखिम और सामाजिक चुनौतियाँ

जैसे-जैसे ऑटिस्टिक वयस्क बड़े होते हैं, उन्हें विशेष स्वास्थ्य जोखिमों, शुरुआती डिमेंशिया और सामाजिक बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। स्वस्थ और सम्मानजनक बुढ़ापे के लिए अनुकूलित देखभाल और आजीवन सहयोग बेहद ज़रूरी है।

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यूके में 40+ वर्ष की आयु के लगभग 89–97% ऑटिस्टिक वयस्कों का अभी तक निदान ही नहीं हुआ है। !

किंग्स कॉलेज लंदन के मनोचिकित्सा, मनोविज्ञान और तंत्रिका विज्ञान संस्थान की समीक्षा बताती है कि देर से निदान होने के कारण कई वयस्क बिना उचित सहयोग के जीवन बिताते हैं।

1980 से अब तक ऑटिज़्म पर हुए अध्ययनों में से केवल 0.4% ही ऐसे हैं जिन्होंने मध्य जीवन या बुढ़ापे में ऑटिस्टिक व्यक्तियों का अध्ययन किया है। हालाँकि, 2012 के बाद से इस विषय पर शोध में लगभग चार गुना वृद्धि हुई है। यह समझने के लिए कि क्या ऑटिस्टिक लोगों की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया सामान्य जनसंख्या से अलग होती है, शोधकर्ताओं ने उपलब्ध साहित्य की समीक्षा और विस्तृत विश्लेषण किया।()।

अधिकांश लोगों का निदान नहीं हो पाता है

ऑटिज़्म लोगों में उम्र बढ़ने के साथ "बढ़ता" नहीं है; लेकिन अलग-अलग पीढ़ियों—युवा और वृद्ध—के बीच इसके निदान की दर में बड़ा अंतर देखा जाता है। 2018 में यूके के स्वास्थ्य सेवा रिकॉर्ड के आधार पर किए गए पूर्व अध्ययनों के पुनर्विश्लेषण में शोधकर्ताओं ने पाया कि 40 से 59 वर्ष आयु वर्ग के लगभग 98% और 60 वर्ष से अधिक आयु वाले करीब 97% लोगों का कभी भी पहचान या निदान नहीं हुआ

ऑटिज़्म से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएँ

शोध से पता चलता है कि ऑटिज़्म से ग्रस्त लोगों की तुलना में, मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध ऑटिस्टिक व्यक्तियों में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ अधिक आम पाई जाती हैं। इनमें प्रतिरक्षा संबंधी रोग, हृदय विकार, तंत्रिका संबंधी विकार, जठरांत्र संबंधी समस्याएँ, चिंता और अवसाद शामिल हैं। इसके अलावा, उम्र बढ़ने के साथ जुड़ी चुनौतियाँ—जैसे ऑस्टियोपोरोसिस, गठिया, पार्किंसंस रोग और संज्ञानात्मक क्षमता में गिरावट—भी इन व्यक्तियों में अधिक देखने को मिलती हैं।

ऑटिस्टिक आँकड़े

  • शोध बताते हैं कि ऑटिस्टिक लक्षणों वाले वृद्धों में आत्म-क्षति पहुँचाने या आत्महत्या के विचार आने की संभावना छह गुना अधिक होती है।
  • गैर-ऑटिस्टिक लोगों की तुलना में उनमें प्रारंभिक मनोभ्रंश का जोखिम चार गुना अधिक पाया गया है।
  • जीवन प्रत्याशा में भी अंतर देखा गया है—ऑटिस्टिक लोग औसतन 75 वर्ष तक जीवित रहते हैं, जबकि गैर-ऑटिस्टिक लोगों की औसत आयु 81 वर्ष है।

नोट: ये आँकड़े अनुमानित हैं और अलग-अलग हो सकते हैं, क्योंकि कई लोगों का अभी तक निदान नहीं हो पाया है।


ऑटिज़्म: स्वास्थ्य से आगे सामाजिक बाधाएँ भी!

मूल्यांकन बताते हैं कि ऑटिज़्म से पीड़ित व्यक्तियों को अक्सर ऐसी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचने में कठिनाई होती है, जो उनकी ज़रूरतों के अनुरूप नहीं होतीं। इन बाधाओं में ऑटिज़्म संबंधी लक्षणों से जुड़े पहलू शामिल हैं—जैसे संचार में अंतर, संवेदिक संवेदनशीलता, देखभाल की निरंतरता को लेकर चिंताएँ, यह अनिश्चितता कि किन सेवाओं का लाभ लिया जाए, और वयस्कता में ऑटिज़्म को लेकर चिकित्सकों की सीमित समझ।
स्वास्थ्य संबंधी परिणामों से परे, सेवानिवृत्ति से पहले ही रिश्तों, जीवन की गुणवत्ता और रोज़गार पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है। ऑटिज़्म से पीड़ित वयस्कों में सामाजिक अलगाव की दर उल्लेखनीय रूप से अधिक होती है। हालाँकि, शोध यह भी दर्शाते हैं कि यदि उन्हें मज़बूत सामाजिक समर्थन मिले, तो वे कहीं बेहतर जीवन स्तर हासिल कर सकते हैं।
उम्र बढ़ने के साथ ऑटिज़्म से पीड़ित लोगों की ज़रूरतों को समझना आज एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बनता जा रहा है। समाधान के तौर पर हमें अनुकूलित स्वास्थ्य सेवाएँ, निरंतर देखभाल और व्यापक सामाजिक समर्थन के साथ आजीवन दृष्टिकोण अपनाना होगा—ताकि वृद्ध ऑटिज़्म से पीड़ित व्यक्ति गरिमा, सद्भाव और स्वास्थ्य के साथ जीवन जी सकें।

संदर्भ:
  1. ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम में वृद्धावस्था - (https://kclpure.kcl.ac.uk/portal/en/publications/aging-across-the-autism-spectrum)

स्रोत-किंग्स कॉलेज लंदन

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