डॉ. सिमी पाकनीकर द्वारा लिखित | शीला फिलोमेना द्वारा समिक्षित लेख on Sep 3 2025 8:31AM
बचपन की गहरी नींद से अल्ज़ाइमर का खतरा कम हो सकता है: एक नए अध्ययन के अनुसार, प्रारंभिक उम्र में पर्याप्त नींद मस्तिष्क के विकास और उसकी सुरक्षा के लिए एक प्राकृतिक ढाल की तरह काम कर सकती है, जो जीवन के बाद के वर्षों में तंत्रिका कोशिकाओं को क्षति से बचाने में सहायक हो सकती है। यह एक प्रगतिशील मस्तिष्क रोग है जिसका अभी तक कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। अध्ययन के निष्कर्ष
करंट बायोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।
अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया-बर्कले विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि गहरी नींद के दौरान मस्तिष्क स्वयं को शुद्ध करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जीवन की प्रारंभिक अवस्था में पर्याप्त गहरी नींद ली जाए, तो यह मस्तिष्क को लंबे समय तक स्वस्थ रखने और अल्ज़ाइमर जैसे रोगों से बचाव में सहायक हो सकती है।
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया, बर्कले में मनोविज्ञान और तंत्रिका विज्ञान के प्रोफेसर मैथ्यू वॉकर ने 32 स्वस्थ वृद्ध प्रतिभागियों पर नींद से जुड़ा एक अहम अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि रात की नींद की गुणवत्ता और मस्तिष्क में जमा होने वाले बीटा-एमिलॉइड प्लाक के बीच गहरा संबंध है। यही प्लाक अल्ज़ाइमर रोग की शुरुआत और उसके बढ़ने में बड़ी भूमिका निभाता है।
अध्ययन के दौरान हर प्रतिभागी की पॉलीसोम्नोग्राफी की गई—जिसमें मस्तिष्क तरंगों, रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा, हृदय गति और नींद की गहराई जैसे कई मानदंड मापे गए। इससे यह समझने में मदद मिली कि नींद का पैटर्न और मस्तिष्क स्वास्थ्य किस तरह से आपस में जुड़े हुए हैं।
निष्कर्षों से पता चला कि जिन प्रतिभागियों ने कम नॉन-रैपिड आई मूवमेंट (NREM) स्लो-वेव नींद और अधिक खंडित नींद का अनुभव किया, उनमें बीटा-एमिलॉइड प्रोटीन के स्तर में वृद्धि होने की संभावना सबसे अधिक थी। यही प्रोटीन अल्ज़ाइमर रोग की प्रगति से गहराई से जुड़ा है।
अध्ययन के लेखक ने कहा—
"अगर गहरी, आरामदायक नींद इस बीमारी को धीमा कर सकती है, तो हमें इसे स्वास्थ्य की एक प्रमुख प्राथमिकता बनाना चाहिए।"
स्रोत-मेडइंडिया