डॉ. सिमी पाकनीकर द्वारा लिखित | शीला फिलोमेना द्वारा समिक्षित लेख on Sep 3 2025 5:21AM
शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि सामाजिक चिंता से पीड़ित बच्चों में आगे चलकर अवसाद विकसित होने का विशेष जोखिम हो सकता है। यह खतरा उन बच्चों में और अधिक बढ़ जाता है जिनकी माताओं को पहले से अवसाद (MDD) का इतिहास रहा है।
अध्ययन की सह-लेखिका होली कोबेज़क (बिंगहैमटन विश्वविद्यालय, अमेरिका) ने कहा, "हम पहले से जानते हैं कि सामाजिक चिंता के लक्षणों वाले बच्चों में अवसाद का जोखिम अधिक होता है, ठीक वैसे ही जैसे अवसादग्रस्त माताओं की संतानों में देखा जाता है।"
यह निष्कर्ष संकेत देता है कि सामाजिक चिंता और मातृ अवसाद का संयोजन बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए दोहरे जोखिम की स्थिति पैदा कर सकता है।
कोबेज़क ने आगे कहा, "हमारे निष्कर्ष पहले से ज्ञात जानकारी को एक कदम आगे ले जाते हैं, यह सुझाव देते हुए कि इन जोखिम कारकों का संयोजन अकेले किसी भी जोखिम कारक की उपस्थिति से भी अधिक घातक हो सकता है।"
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने लगभग 250 बच्चों (आयु 8 से 14 वर्ष) को शामिल किया, जिनकी माताओं में से कुछ का प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार (एमडीडी MDD) का इतिहास था, जबकि कुछ का नहीं।
बच्चों के लक्षणों का दो वर्षों तक हर छह महीने में पुनर्मूल्यांकन किया गया, ताकि यह देखा जा सके कि किशोरावस्था में प्रवेश करने के दौरान लक्षणों के स्तर में क्या बदलाव होते हैं—जो कि अवसाद के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण संवेदनशील अवधि मानी जाती है।
जर्नल ऑफ़ अडोलसेंस (the Journal of Adolescence) में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, जिन बच्चों में सामाजिक चिंता का स्तर अधिक होता है, उनमें समय के साथ अवसाद के लक्षणों में वृद्धि देखी जा सकती है—लेकिन यह संबंध खास तौर पर उन्हीं बच्चों में पाया गया जिनका मातृ अवसाद एमडीडी (MDD) का इतिहास रहा है।
कोबेज़क ने कहा, "यह प्रारंभिक प्रमाण है कि सामाजिक चिंता वाले बच्चों में अवसाद का खतरा विशेष रूप से उन बच्चों में अधिक हो सकता है, जिनकी माताओं को पहले अवसाद रहा है।"
शोधकर्ताओं का मानना है कि यह निष्कर्ष आगे के अध्ययनों को प्रेरित करेगा, ताकि यह समझा जा सके कि किस प्रकार सामाजिक चिंता के लक्षण और मातृ अवसाद आपस में मिलकर बच्चों में अवसाद के जोखिम को और बढ़ा सकते हैं।
कोबेज़क ने कहा, "हमारे निष्कर्ष इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि कौन-सी परिस्थितियाँ बच्चों को अवसाद के उच्च जोखिम में डाल सकती हैं। लेकिन उतना ही महत्वपूर्ण यह समझना भी है कि ऐसा क्यों होता है।""
शोधकर्ताओं ने यह भी जोड़ा कि भविष्य के अध्ययन उन सामाजिक और पारस्परिक संबंधों की गड़बड़ियों पर केंद्रित हो सकते हैं, जो इन अनुभवों के कारण उत्पन्न होती हैं। संभव है कि यही व्यवधान इन बच्चों को अवसाद के प्रति अधिक संवेदनशील बना रहे हों।
--आईएएनएस
स्रोत-आईएएनएस