वैज्ञानिक भाषा में इसे
( “viral interference” वायरल हस्तक्षेप) कहा जाता है। इसका अर्थ है कि यदि किसी व्यक्ति को पहले से एक वायरस (जैसे राइनोवायरस) संक्रमित कर चुका है, तो वह शरीर की प्रारंभिक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय कर सकता है, जिससे दूसरा वायरस (जैसे SARS-CoV-2) आसानी से संक्रमण स्थापित नहीं कर पाता।
यह कैसे काम करता है?
1.
राइनोवायरस संक्रमण
• जब राइनोवायरस शरीर में प्रवेश करता है, तो यह कोशिकाओं को इंटरफेरॉन नामक प्रोटीन बनाने के लिए प्रेरित करता है।
• इंटरफेरॉन “चेतावनी संदेशवाहक” की तरह कार्य करता है और आसपास की कोशिकाओं में एंटीवायरल जीन सक्रिय कर देता है।
2.
इंटरफेरॉन का प्रभाव
• इंटरफेरॉन के सक्रिय होने पर कोशिकाएँ SARS-CoV-2 जैसे वायरस की प्रतिलिपि (replication) बनने की क्षमता को बाधित कर देती हैं।
• इससे कोविड-19 वायरस को शुरुआती चरण में बढ़ने में कठिनाई होती है।
अस्थायी सुरक्षा का यह प्रभाव केवल कुछ दिनों तक रहता है।
• जैसे ही इंटरफेरॉन प्रतिक्रिया कमज़ोर होती है, कोविड-19 संक्रमण का खतरा पुनः सामान्य हो जाता है।
वैज्ञानिक प्रमाण
• प्रयोगशाला अध्ययनों में पाया गया कि यदि मानव श्वसन कोशिकाओं को पहले राइनोवायरस से संक्रमित किया जाए, तो SARS-CoV-2 की प्रतिकृति 50–90% तक कम हो सकती है।
• यह प्राकृतिक सुरक्षा स्थायी ढाल नहीं, बल्कि केवल अस्थायी वायरल हस्तक्षेप है। सरल शब्दों में: सर्दी-ज़ुकाम का वायरस शरीर को थोड़े समय के लिए “अलर्ट मोड” में डाल देता है, जिससे कोविड-19 वायरस को पैर जमाने में मुश्किल होती है। लेकिन जैसे ही यह अलर्ट समाप्त होता है, सुरक्षा भी समाप्त हो जाती है।
• बच्चों में होने वाला सामान्य सर्दी-ज़ुकाम (राइनोवायरस) शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को विशेष रूप से इंटरफेरॉन के माध्यम से सक्रिय करता है, जिससे उन्हें COVID-19 संक्रमण से अस्थायी सुरक्षा मिल सकती है।
• नेशनल ज्यूइश हेल्थ के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए हालिया अध्ययन (प्रकाशित: Journal of Infectious Diseases) में यह स्पष्ट किया गया।
• यह विश्लेषण HEROS (Human Epidemiology and Response to SARS-CoV-2) परियोजना के आँकड़ों पर आधारित था।
• अध्ययन में 1,394 घरों से 4,100 से अधिक प्रतिभागियों को लंबे समय तक ट्रैक किया गया। पाया गया कि जिन लोगों—विशेषकर बच्चों—को हाल ही में राइनोवायरस संक्रमण हुआ था, उनके आने वाले हफ्तों में SARS-CoV-2 से संक्रमित होने की संभावना उल्लेखनीय रूप से कम थी।
वयस्कों की तुलना में बच्चों में क्यों ज़्यादा फर्क है?
• वयस्कों की तुलना में बच्चों में इंटरफेरॉन-संबंधी जीनों की मूलभूत अभिव्यक्ति (baseline expression) अधिक पाई गई।
• ये प्रोटीन प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रथम रक्षा पंक्ति के रूप में कार्य करते हैं।
• इसीलिए, बच्चों में कोविड के मामले कम और हल्के देखे गए।
विशेषज्ञों की राय
• मैक्स सीबोल्ड, पीएचडी (वरिष्ठ लेखक, नेशनल ज्यूइश हेल्थ, REGEN प्रोग्राम के निदेशक):
“हमारे निष्कर्ष दर्शाते हैं कि हाल ही में हुआ सर्दी-ज़ुकाम शरीर को SARS-CoV-2 के फैलने से पहले ही उससे लड़ने में शुरुआती बढ़त दे सकता है। यह समझने में मदद करता है कि बच्चे, जिन्हें वयस्कों की तुलना में अधिक बार सर्दी-ज़ुकाम होता है, आम तौर पर COVID-19 के कम और हल्के मामले क्यों अनुभव करते हैं।”
• कैमिली मूर, पीएचडी (मुख्य लेखिका, नेशनल ज्यूइश हेल्थ):
“इसका अर्थ यह नहीं है कि लोगों को जानबूझकर सर्दी-ज़ुकाम पकड़ने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन यह समझना कि एक वायरस दूसरे वायरस के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया को कैसे प्रभावित करता है, हमें नई रोकथाम रणनीतियाँ विकसित करने में मदद कर सकता है—विशेषकर उन कमज़ोर लोगों के लिए जो अधिक संवेदनशील हैं।”
निष्कर्ष
•राइनोवायरस द्वारा उत्पन्न इंटरफेरॉन प्रतिक्रिया कोविड-19 के विरुद्ध अल्पकालिक प्रतिरक्षा अवरोध पैदा कर सकती है।
•यह प्रभाव बच्चों में अधिक दिखाई देता है क्योंकि उनकी इंटरफेरॉन प्रतिक्रिया वयस्कों से स्वाभाविक रूप से अधिक सक्रिय रहती है।
•हालांकि यह सुरक्षा स्थायी नहीं है, लेकिन यह शोध स्पष्ट करता है कि वायरल हस्तक्षेप महामारी विज्ञान और सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों को समझने में एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है।
संदर्भ:
1. Journal of Infectious Diseases, 2025
2. Human Epidemiology and Response to SARS-CoV-2 (HEROS) Study, NIH
स्रोत-यूरेकलर्ट