2
क्षय रोग हड्डियों और जोड़ों को प्रभावित कर सकता है।
तपेदिक मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है लेकिन शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता है, जैसे लिम्फ नोड्स, पाचन प्रणाल, मूत्र प्रणाली, मस्तिष्क, मस्तिष्क की ऊपरी सतह, हड्डियाँ, जोड़ों, त्वचा और आँख इत्यादि ।
3
क्षय रोग किसके द्वारा फैलता है -
तपेदिक हवा में बूंदों के माध्यम से फैलता है। तपेदिक ग्रस्त व्यक्ति जब खांसता या छींकता है, तो उससे निकलने वालीे बूंदें हवा में फैलती है और यदि कोई व्यक्ति इन बूंदों के संपर्क में सांस के द्वारा आता है तो वह इन रोगाणुओं संक्रमित हो जाता हैं।
4
एचआई वी रोगी गंभीर तपेदिक से पीड़ित होने की संभावना रखते हैं।
एचआईवी रोगी की इम्युनिटी या प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, इसलिए उन्हें गंभीर संक्रमण का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा एक बैक्टीरिया जिसे माइक्रोबैक्टीरियम अवियम कॉम्प्लेक्स कहा जाता हैं, उससे संक्रमित होने की आशंका भी अधिक होती है।
5
तपेदिक के उपचार में अनेक दवाओं को संयोजित कर उपयोग किया जाता है, उसके निम्न कारण -
तपेदिक में दवाओं का संयोजित उपयोग प्रतिरोध को कम करता है और शीध्रता से और पूर्ण तरीके से स्वास्थ की पुनर्प्राप्ति में सहयोग देता है।
6
क्षय रोग के उपचार के संदर्भ में डॉट्स ( DOTS) है -
DOTS एक प्रोग्राम है जहां टीबी की दवाईयाँ एक प्रशिक्षित स्वास्थ्य देखभाल कर्मी या किसी अन्य निर्धारित व्यक्ति (जो परिवार के सदस्य नहीं है) द्वारा प्रदान की जाती है। जिस से यह सुनिश्चित किया जा सके कि व्यक्ति बराबर दवाई लेता है।
7
लीवर की बीमारी तपेदिक उपचार का एक सामान्य दुष्प्रभाव है।
तपेदिक उपचार में उपयोग की जाने वाली दवाईयाँ, जैसे कि आईएनएच, रिफैम्पिसिन और पायराजिनामाइड इत्यादि से लीवर की सूजन या हेपेटाइटिस होना एक सामान्य दुष्प्रभाव (साइड इफेक्ट) है।