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सरकार 21 दिनों की घरबंदी का उपयोग महामारी से लड़ने की रणनीति में अपर्याप्ततासे जुड़े मुद्दों को सुलझाने में करें, अन्यथा महाविनाश

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क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वैल्लोर के पूर्व प्रोफेसर और केंद्र के पूर्व प्रमुख सेंटर फॉर एडवांस्ड वायरोलॉजी रिसर्च, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के पूर्व प्रमुख डॉ. टी जैकब जॉन ने परीक्षण रणनीति में अपर्याप्तता से जुड़े मुद्दों पर कहा कि कई लोग बीमारी के वाहक होने के बावजूद इस सच से अनभिज्ञ हैं और इस कारण अनजाने में अपने प्रियजनों को संक्रमित कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश में 21 दिन के घरबंदी की घोषणा कोविद -19 के प्रकोप को धीमा करने में मदद करेगी। हालांकि, अगर इस समय का उपयोग देश के संसाधनों को मजबूत करके स्थिति से निपटने के लिए नहीं किया जाता हैं, तो यह उद्देश्य पराजित हो जाएगा।

सरकार के दृष्टिकोण के अनुसार वह बहुत आश्वस्त हैं कि सब कुछ नियंत्रण में है। उन्होंने सोचा हैं कि जो भी आवश्यक होगा वे वह सब कुछ प्रबंध कर सकते हैं, क्योंकि उन्होंने अतीत में सब कुछ प्रबंधित किया था। इस महामारी से लड़ने के लिए सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों को पर्याप्त होने का अनुमान लगाया गया हैं। लेकिन मेरा मत यह हैं कि हमे सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ काम करना चाहिये, क्योंकि हमारे पास एक बड़ा निजी स्वास्थ्य संस्थानों का क्षेत्र है। एक स्वस्थ सार्वजनिक-निजी भागीदारी से ही इस लड़ाई को जीता जा सकेगा।

उन्होने संदेह जताते हुये कहा,"स्वास्थ्य सेवा जिसमें सार्वजनिक-निजी भागीदारी की आवश्यकता होती है और इनके के बीच के अंतर-चरण की समझने में सरकार से कही भूल हुई हैं। स्वास्थ्य सेवा को भी परीक्षण की आवश्यकताएं हैं, जो कि सार्वजनिक- स्वास्थ्य परीक्षण से अलग हैं।

'हमारी परीक्षण नीति लोगों के अनुकूल नहीं थी'

परीक्षण के लिए उन्होंने जो तंत्र स्थापित किया वह सरकारी संस्थान के अनुकूल था, लोगों के अनुकूल नहीं । उनकी परीक्षण पद्धति के अनुसार यदि आप परीक्षण करना चाहते हैं, तो वह कब और कहाँ होगा यह तय करने का अधिकार उन्हे होगा। परीक्षण का एकाधिकार केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य को दिया, ना कि स्वास्थ्य सेवा के लिए सभी को उपलब्ध कराया गया ।

'भेड़िया दरवाजे के अंदर है और यह तबाही मचाएगा, इसकी तैयारी करें'

600 से अधिक विषम मामले जो हमने देखे हैं, वे इसलिये परीक्षण किए गए थे, क्योंकि उन का विदेशी यात्रा से संबंध या संपर्क इतिहास था। ये 600 मामले हमें बताते हैं कि भेड़िया दरवाजे के अंदर है और भेड़िया कहर ढाने वाला है। यह जो कहर पैदा करेगा वह अप्रत्याशित और अकल्पनीय है। हर दूसरे देश में तबाही मची है और अब हमारी बारी हैं।

हम यह अभूतपूर्व घरबंदी कहर से बचने के लिए कर रहे हैं, तो इस से हम यह हासिल कर सकते हैं कि अब हमारे पास अपनी रक्षा और आक्रमण नीति को मजबूत बनाने का थोड़ा समय है। सेना स्टेडियम, प्रदर्शन मैदानों में अस्पताल बना सकती है।

12 मार्च को, जब कैबिनेट सचिव ने योजना बनाने के लिए एक बैठक बुलाई, तो ITBP और आर्मी मौजूद थी। क्या उनसे यह पूछा गया है कि जैसे वे 24 घंटे में एक पुल बना सकते हैं, वैसे ही क्या 24 घंटे में एक अस्पताल भी बना सकते हैं? हमने चीन को एक अस्पताल बनाते हुए देखा हैं। हम ऐसा नहीं चाहते हैं, हमें केवल टेंट की आवश्यकता है, ताकी हम मौसम की अनिश्चितताओं से अपनी रक्षा कर सके।

जब कहर आएगा, तो हमें बेहतर तरीके से तैयार होना ही होगा। कहर आएगा, और आकर ही रहेगा, क्योंकि यह एक संक्रामक वायरस है। एक सामान्य मानव संपर्क, सामाजिक संपर्क, इसके प्रसार के लिए पर्याप्त है।

'लोग दुश्मन नहीं हैं, उन्हें ईमानदारी से तैयारी के बारे में बताएं'

लोगों को समस्या के हिस्से के रूप में चित्रित किया गया है। क्या आपने एक सुसंगत संदेश के साथ जनता को सूचित किया है कि यह एक राष्ट्रीय आपातकाल है? क्या आपने उन्हें उन मामलों की अनुमानित संख्या के बारे में बताया है, देखभाल इकाइयों में उपलब्ध बिस्तरों की संख्या पर्याप्त या कम है, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों की कमी, मास्क या वेंटिलेटर की उपलब्धता? ऐसी कई बातें हैं, जिन्हें जनता को ईमानदारी से बताने की जरूरत है।

घरबंदी से कैसे मदद मिलेगी और घरबंदी में फँसे संक्रमण से अनजान आदमी

घरबंदी का मुख्य उद्देश्य प्रसार को धीमा करना है। घरबंदी के कारण, समुदाय में अगले तीन सप्ताह में यह संक्रमण एक छोटे अनुपात में ही कम पायेगा । यह समझिये की महामारी को धीमा करने के लिए हमने ये तीन सप्ताह खरीदें हैं।

हालाँकि, इसका एक दूसरा पहलू भी हैं- क्या आपको नहीं लगता कि देश में पहले से ही कुछ संक्रमित लोग हैं, जिन्हें अभी भी पता नहीं चला है? वे अपने परिवारों में होंगे, वे स्पर्शोन्मुख हो सकते हैं और वे अपने माता-पिता, दादा-दादी, पत्नी और बच्चों में संक्रमण फैला रहे होंगे। क्या उन्हें कुछ बताया गया है? यदि नहीं, तो इन 21 दिनों के दौरान इन छोटे परिवार समूहों में बहुत से लोगों पर महामारी का प्रकोप हो सकता हैं। क्या सरकार ने उन्हें तैयार किया हैं कि वे अपने घरों के भीतर कैसे व्यवहार करें? यदि परिवार का सदस्य अस्वस्थ है तो पारस्परिक शारीरिक स्पर्श को कम से कम कैसे करें और सुरक्षित दूरी बनाए रखें?

क्या लोगों को बताया गया हैं कि यदि उनमें कोविद -19 के लक्षण दिखाई दे तो, कर्फ्यू की स्थिति में घर से बाहर जाये बिना, नमूने एकत्र करने के लिये किस प्राधिकारी से संपर्क करना चाहिए?

यदि यह सब संप्रेषित जाये और इसका पालन किया जाये तो, समुदाय में संचरण को धीमा करने, संक्रमितो को समय से जानकारी ले कर संगरोधन कर के अलग करने में, ये 21 दिन अत्यधिक प्रभावी साबित होंगे। यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो 22 वें दिन, समुदाय में प्रसारण फिर से शुरू हो जाएगा और तीन सप्ताह में आप संक्रमितो की संख्या में भारी वृद्धि देखेंगे। यह मेरी निजी चिंता हैं।"


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