खुशी अच्छे स्वास्थ्य और खराब याददाश्त से ज्यादा कुछ नहीं है। - अल्बर्ट श्वित्ज़र
एक सामान्य मानव शरीर में रक्तचाप को नाड़ी की दीवारों पर रक्त द्वारा किये गए दबाव के रूप में परिभाषित किया जाता है। नतीजतन, यदि दबाव डालने की यह स्थिति लगातार उच्च होती है, तो इस स्थिति को उच्च रक्तचाप या हॉयपर टेंशन कहा जाता है। आठवीं संयुक्त राष्ट्रीय समिति (जेएनसी-8) के अनुसार रक्त का दबाव 40/90 मि.मी एचजी के बराबर या अधिक होने पर उच्च रक्तचाप हैं यह माना जायेगा। दूसरी ओर मधुमेह मेलिटस चयापचय संबंधी विकारों का एक समूह है जो विशेष कर रक्त में शर्करा की वृद्धि करता हैं।
उच्च रक्तचाप दो प्रकार के होते हैं:
प्राथमिक (अनिवार्य) उच्च रक्तचाप: अधिकांश वयस्कों में उच्च रक्तचाप को पहचाने का कोई ज्ञात योग्य लक्षण नहीं होता है, ये कई वर्षों में धीरे-धीरे विकसित होते है। इस प्रकार के उच्च रक्तचाप को प्राथमिक या आवश्यक उच्च रक्तचाप कहा जाता है।
द्वितीयक उच्च रक्तचाप: यदि रक्तचाप किसी अंतर्निहित स्थिति के कारण होता हुआ पाया जाता है, तो इसे द्वितीयक उच्च रक्तचाप कहा जाता है। यह अचानक प्रकट होता है और प्राथमिक उच्च रक्तचाप की तुलना में रक्तचाप के उच्च स्तर का कारण बनता है। विभिन्न स्थितियों और दवाओं के कारण माध्यमिक उच्च रक्तचाप हो सकता है, जिनमें शामिल हैं:
टाइप 1 डायबिटीज मेलिटस | टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस | |
कारण और रोगजनन | अग्न्याशय में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं का विनाश; अग्न्याशय बहुत कम या बिल्कुल भी इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है | शरीर की इंसुलिन के प्रति प्रतिक्रिया करने की क्षमता में कमी। इंसुलिन -उत्पादक कोशिका खराब होने लगती है, जो अपर्याप्त इंसुलिन स्राव के रूप में प्रकट होती है जिससे इंसुलिन प्रतिरोध और हाइपरग्लेसेमिया होता है। लीवर द्वारा अत्यधिक ग्लूकोज उत्पादन। |
उच्च रक्तचाप से पीड़ित अधिकांश लोगों में कोई बीमारी के कोई लक्षण नहीं होते हैं और इसलिए इस बीमारी को "साइलेंट किलर" भी कहा जाता है। गंभीर उच्च रक्तचाप गैर-विशिष्ट लक्षण पैदा कर सकता है जैसे कि सिरदर्द , दृष्टि संबंधी समस्याएं, चक्कर आना, सांस की तकलीफ, तेज धड़कन और माथे में पसीना आना। इन लक्षणों के दिखने के बाद तत्काल उपयुक्त चिकित्सा की करें।
दूसरी ओर टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह के अलग-अलग संकेत और लक्षण हैं:
गंभीर मामलों में मतली, उल्टी, पेट दर्द हो सकता है और कभी-कभी ये लक्षण बेहोशी तक भी बढ़ सकते हैं।
उच्च रक्तचाप का नैदानिक रूप से आसानी से निदान किया जा सकता है। एक साधारण मैनुअल ब्लड प्रेशर कफ मॉनिटर जिसे स्फिग्मोमैनोमीटर भी कहा जाता है, का उपयोग किया जाता है।
ब्लड प्रेशर के निदान के लिए, बांह के चारों ओर एक फूलने वाला पट्टा (इन्फ्लेटेबल आर्म कफ) बांधा जाता है और अलग-अलग समय पर लगातार दो से तीन संख्या (रीडिंग) दर्ज की जाती हैं। रक्तचाप को एक अंश के रूप में दर्शाया जाता है, जिसमें अंश सिस्टोलिक रक्तचाप के उस मान को बताता है, जब दबाव से हृदय सिकुड़ता है और धड़कनों के बीच जब हृदय आराम करता है, उस समय धमनियों में रक्त के दबाव के भाजक को डायस्टोलिक रक्तचाप कहा जाता हैं।
नोट: रीडिंग किसी मीटर डायल आदि द्वारा चिह्नित संख्या को कहा जाता हैं।
सिस्टोलिक प्रेशर | डायस्टोलिक दबाव | ||
सामान्य रक्तचाप | <120 | और | <80 |
प्री हाइपरटेंशन | 120-139 | और/या | 80-89 |
प्रथम-चरण | 140-159 | और/या | 90-99 |
द्वितीय-चरण | >=160 | और/या | >=100 |
पृथक सिस्टोलिक उच्च रक्तचाप | >=140 | और | <90 |
संयुक्त राष्ट्रीय समिति (जेएनसी) 8 ने उच्च रक्तचाप के निदान में निम्नलिखित परिवर्तनों का सुझाव दिया:
रोगी की आयु समूह | लक्षित सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (SBP) (mm Hg) | लक्षित डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर (DBP) (mm Hg) |
≥ 60 साल | <150 | <90 |
<60 वर्ष | <140 | <90 |
>क्रॉनिक किडनी रोग के साथ 18 वर्ष | <140 | <90 |
मधुमेह के साथ 18 वर्ष | <140 | <90 | tr>
स्रोत: जेम्स पी.ए., et al; जामा 2013
उच्च रक्तचाप-
जब तक रोगी को गंभीर उच्च रक्तचाप न हो, तब तक रक्तचाप का बार-बार माप लेना चाहिये, साथ ही उनकी जीवन शैली का भी आंकलन करने के बाद ही दवाई की शुरुआत करनी चाहिये।
जेएनसी-8 के दिशानिर्देश, सिस्टोलिक और डायस्टोलिक रक्तचाप को नियंत्रण करते समय मरीज की उम्र और सहविकृतियां को ध्यान में रख कर ही विशिष्ट उपचार करने पर जोर देते हैं।
प्रारंभिक दवा वर्ग विकल्प:
उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए दवा चिकित्सा में एसीई अवरोधक , बीटा-ब्लॉकर्स, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स शामिल हैं।, और मूत्रवर्धक।
उपचार का लक्ष्य दो आयु समूहों, आयु<55 वर्ष और आयु>55 वर्ष के लिए है।
55 वर्ष से कम उम्र के रोगियों को पहले एसीई (ACE) अवरोधकों को शुरू करें और उसके बाद एसीई अवरोधकों और मूत्रवर्धक को या दूसरा विकल्प हैं एसीई (ACE) अवरोधकों के साथ कैल्शियम चैनल अवरोधकों का संयोजन करके उपचार शुरू करें।
यदि फिर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं होती है तो उपचार के लिए, तीनों को एक साथ संयोजन करें ।
55 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के रोगियों के लिए प्रारंभिक उपचार, मूत्रवर्धक के साथ कैल्शियम चैनल ब्लॉकर का संयोजन करना चाहिए। इसके बाद एसीई इनहिबिटर और कैल्शियम चैनल ब्लॉकर या डाइयुरेटिक का संयोजन या तीनों घटकों को साथ में संयोजित करे, जैसे कि पहले वाले आयु समूह में बताया गया है।
बेटा ब्लॉकर को अंतिम उपाय के रूप में उपयोग किया जाता हैं, औषधी की मात्रा को धीरे-धीरे बढ़ाया जाता हैं।
मधुमेह
मधुमेह का उपचार मुख्य रूप से चीनी और इससे संबंधित सभी घटको को नियंत्रित करने का हैं। मधुमेह से निपटने के लिए जीवनशैली में बदलाव का अत्यधिक महत्व है। उपचार की दवाओं (ड्रग थेरेपी) में बिगुआनाइड्स (जैसे मेटफॉर्मिन), सल्फोनीयूरिया, एकरबोस, थियाजोलिडेनिओनेस और डीपीपी 1वी इनहिबिटर इत्यादि वर्गों से संबंधित दवाओं का उपयोग किया जाता हैं।
ब्रोमोक्रीपटीन को हाल ही में मधुमेह विरोधी दवा के रूप में स्वीकृत किया गया है।
यदि मौखिक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट (OHAs- यह मधुमेह के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाईयों को परिभाषित करने के लिये प्रयोग किया जाता हैं) मधुमेह को पूरी तरह से नियंत्रित करने में विफल होता हैं, तो इंसुलिन शुरू की जाती है। इंसुलिन को बनाने के विभिन्न प्रकार है, कुछ औषधि मिश्रण कम समय तक और कुछ लंबे समय तक क्रियाशील रहते हैं। सबसे आम तरीके में से एक हैं मानव या ह्युमन मिक्सटार्ड।
निम्नलिखित युक्तियाँ इन बीमारियों को एक हद तक नियंत्रित करने में सहायता कर सकती हैं:
मधुमेह के मामले की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए निम्नलिखित आहार परिवर्तन का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।