मधुमेह दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करता है और अधिक से अधिक लोग इस बीमारी से प्रभावित होते रहते हैं। हाल के आंकड़ों के अनुसार, 8.3 प्रतिशत अमेरिकी और लगभग 10% भारतीय आबादी मधुमेह से पीड़ित है। इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि उनमें से लगभग 27% को यह नहीं पता कि वे इस बीमारी से पीड़ित हैं! वास्तव में, अध्ययनों से संकेत मिलता है कि रोग निदान से सात साल पहले तक भी मौजूद हो सकता है और इसका निदान तभी किया जा सकता है जब इसके लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई दे, जो कि अधिकांश मामलों में दिखाई नहीं देते हैं।
मधुमेह के शुरुआती चरणों में कोई लक्षण नहीं होता है और इन चरणों में अकेले रक्त परीक्षण के आधार पर इसका पता लगाया जाता है। यदि इसका समय रहते उपचार न किया गया, तो यह गैंग्रीन, गुर्दे की विफलता और अंधापन जैसी गंभीर जटिल समस्याओं को उत्पन्न करता है। यह स्ट्रोक और हृदय संबंधी समस्याओं से भी जुड़ा है। हालांकि, रक्त शर्करा के स्तर का शीघ्र उपचार और नियंत्रण इन जटिलताओं से बचने में मदद कर सकता है।
मधुमेह के लिए स्क्रीनिंग - यह आमतौर पर टाइप 2 मधुमेह के मामलों का पता लगाने के लिए किया जाता है, जो की 90-95% हैं। सामान्य आबादी में टाइप 1 मधुमेह के लिए स्क्रीनिंग की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि इस से शायद बहुत कम मामलों का पता लग सकता हैं।
प्री-डायबिटीज के लिए स्क्रीनिंग - स्क्रीनिंग प्री-डायबिटीज का पता लगाने में भी मदद करती है। प्री-डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जहां ब्लड शुगर या <मेडलिंक>हीमोग्लोबिन ए1सीमेडलिंक> लेवल सामान्य से ऊपर हैं लेकिन मधुमेह की सीमा तक नहीं पहुंचे हैं। ये रोगी भविष्य में मधुमेह और हृदय रोग से पीड़ित हो सकते हैं। प्रारंभिक पहचान उन्हें अपने आहार को नियंत्रित करने और सही समय पर शारीरिक गतिविधि बढ़ाने में मदद करती है और इस प्रकार मधुमेह को जल्दी स्थापित होने से रोकती है।
1. एक व्यक्ति को मधुमेह की जांच कब शुरू करनी चाहिए?
मधुमेह की जांच 45 वर्ष की आयु के बाद शुरू होनी चाहिए। यदि किसी का वजन अधिक हो साथ ही उनका बीएमआई 25 kg/m^2 से अधिक हो तो मधुमेह की जांच जल्दी शुरू की जाना चाहिए, क्योंकि उनमें मधुमेह होने की संभावनायें बढ़ जाती हैं। इन संभावनाओं के अनेक कारक हैं जिनमें से निम्न मुख्य हैं:
2. मधुमेह के लिए कितनी बार जांच की जानी चाहिए?
मधुमेह के लिए जांच परीक्षण हर तीन साल में किया जाना चाहिए।
3. मधुमेह की जांच के लिए किन परीक्षणों का उपयोग किया जाता है?
निम्न परीक्षणों का उपयोग मधुमेह की जांच के लिए किया जाता है:
यदि उपवास परिक्षण का परिणाम 100-125 mg/dl आता हैं तो यह मधुमेह हो सकने (प्री-डायबिटीज) का संकेत देता है और 125 mg/dl से अधिक का स्तर डायबिटीज को दर्शाता है।
ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट में, ब्लड ग्लूकोज़ का स्तर उपवास की स्थिति में और 75 ग्राम ग्लूकोज़ के सेवन के 1 और 2 घंटे बाद मापा जाता है। 2 घंटे में रक्त का स्तर 140-199 mg/dl प्री-डायबिटीज का संकेत देता है जबकि 150 mg/dl से अधिक का स्तर डायबिटीज को दर्शाता है।
हीमोग्लोबिन A1c टेस्टिंग टेस्ट 3 महीने पहले तक केऔसत ब्लड ग्लूकोज स्तर को मापता है। ५.७% से ६.४% का A1c स्तर पूर्व-मधुमेह को इंगित करता है, जबकि ६.५% या अधिक का स्तर मधुमेह को इंगित करता है।
यदि उपरोक्त में से कोई भी परीक्षण असामान्य है, तो मधुमेह के निदान की पुष्टि के लिये लिये इन में से कम से कम एक और परीक्षण दोबारा किया जाना चाहिये।
1) मधुमेह की जांच के लिए मुझे किस डॉक्टर से मिलना चाहिए?
मधुमेह जांच के लिए आप अपने चिकित्सक से परामर्श कर सकते हैं। वह आपको परीक्षण करवाने के लिए मार्गदर्शन करेगा और यदि परीक्षण का परिणाम असामान्य है तो एक मधुमेह रोग विशेषज्ञ (एंडोक्रिनोलॉजिस्ट) से मिलने की सलाह देगा।
2) क्या निदान होने के बाद क्या मुझे आजीवन दवाएं लेनी होंगी?
यदि आपकी चीनी बहुत अधिक नहीं है तो आपका डॉक्टर आपको नियंत्रित आहार पर रख सकता है और शारीरिक गतिविधि बढ़ाने की सलाह दे सकता है। एक बार जब आप दवा शुरू कर देते हैं, तो संभवतः आपको रक्त शर्करा नियंत्रण के आधार पर उन्हें आजीवन भी लेना हो सकता हैं।
3) गर्भावधि मधुमेह के रोगियों की जांच के लिए किस परीक्षण का उपयोग किया जाता है? p>
आमतौर पर गर्भावधि मधुमेह के रोगियों की जांच के लिए 24 से 28 सप्ताह में ग्लूकोज सहिष्णुता परीक्षण किया जाता है।
4) क्या हीमोग्लोबिन A1c परीक्षण के लिए उपवास की आवश्यकता होती है?
नहीं। हीमोग्लोबिन A1c परीक्षण के लिए आपको उपवास करने की आवश्यकता नहीं है।