एक नए अध्ययन से पता चलता हैं कि आपका रक्त समूह, आपको इस नए कोरोनावायरस के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता हैं। रक्त समूह ’ओ’ वाले लोगों की तुलना में ‘ए’ रक्त-समूह वाले लोगों में इस घातक वायरस से संक्रमित होने की संभावनायें अधिक हैं।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (एस.सी.एम.पी) द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, वुहान विश्वविद्यालय के झोंगेन अस्पताल में सेंटर फॉर एविडेंस-बेस्ड एंड ट्रांसलेशनल मेडिसिन के वांग जिंगहुआन के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने एक प्रारंभिक अध्ययन के लिये वुहान और शेनझेन में 2,000 से अधिक संक्रमित रोगियों के रक्त समूह के स्वरूप या पैटर्न को देखा। उन्होंने पाया कि रक्त ‘ए’ प्रकार के रोगियों में संक्रमण की उच्च दर थी और गंभीर लक्षण उनमे अधिक विकसित थे।
206 मरीजों में से, 85 में टाइप 'ए' रक्त था - जो की 52 टाइप 'ओ' की तुलना में 63 प्रतिशत अधिक थे। शोधकर्ताओं ने लिखा हैं कि," रक्त समूह 'ए' से-संक्रमित रोगियों को सार्स-कोविड़-2 से अधिक सतर्क निगरानी और आक्रामक उपचार प्राप्त करने की आवश्यकता हो सकती हैं। 'ओ' रक्त समूहों की तुलना में गैर 'ओ' रक्त समूहों के लोगों में बीमारी से संक्रामक होने की जोखिम काफी कम हैं और इसकी समीक्षा की जानी चाहिये”।
अमेरिकी राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी सूचना (एन.सी.बी.आई) के एक अध्ययन के अनुसार, यह उल्लेखनीय हैं कि भारत में सबसे आम रक्त समूह 'ओ' (37.12%) हैं, बी 32.26 प्रतिशत के करीब हैं, उसके बाद 'ए' 22.88 प्रतिशत हैं, जबकि 'एबी' 7.74 प्रतिशत पर सबसे कम प्रचलित समूह हैं। अमेरिका में, लगभग ४४ प्रतिशत लोग रक्त समूह ओ के हैं, जबकि लगभग ४१ प्रतिशत समूह 'ए' हैं।
वांग के अनुसार, नियमित रूप से सार्स-कोविड़-2 और अन्य कोरोनोवायरस से संक्रमित रोगियों और चिकित्सा कर्मियों, दोनों में यदि 'एबीओ' (ABO) रक्त प्ररूपण शुरू किया जाये तो, प्रबंधन विकल्पों को परिभाषित करने और जोखिम के स्तर का आंकलन करने में मदद मिलेगी।
डब्ल्यू.एच.ओ के प्रतिनिधि डॉ. गौडेन गालिया के अनुसार, जबकि सांस की बीमारी के अधिक मामले विश्व स्तर पर दर्ज किए गए हैं, लेकिन यह दर चीन में घट रही हैं, जो कि यह दर्शाता हैं कि देश में इस प्रबंधन से प्रकोप की गति में बदलाव किया गया हैं।
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“यह एक महामारी है जिसे काट कर बढ़ने से रोक दिया गया और इसे पथ मार्ग में ही बंद कर दिया गया। यह हमारे पास मौजूद आंकड़ों के साथ-साथ उन टिप्पणियों से भी स्पष्ट हैं जो हम समाज में सामान्य रूप से देख सकते हैं, डॉ. गौडेन ने यू एन न्यूज को कहा।
एक हालिया अध्ययन के अनुसार, 72,000 चीनी कोरोना वायरस रोगियों के मामले में, समग्र मृत्यु दर 2.3 प्रतिशत थी, लेकिन 80 से अधिक उम्र के वयस्कों के मामले में, वही दर बढ़कर 15 प्रतिशत हो गई।
डॉक्टरों का मानना है कि नोवेल कोरोनावायरस पुरूष और स्त्रियों में भेद नहीं करता हैं, उसमें "संक्रमित करने और फैलने की समान क्षमता" हैं। हालांकि विभिन्न आंकड़ों से पता चलता है कि महिलाओं की तुलना में अधिक पुरुष वायरस से संक्रमित होते हैं। यदि आप टाइप ‘ओ’ हैं तो इसका मतलब यह नहीं हैं कि आप बिल्कुल सुरक्षित हैं, इसलिए स्थानीय अधिकारियों द्वारा जारी किए गए सभी सुरक्षित दिशानिर्देशों का पालन करें।
स्रोत-आई.ए.एन.एस