शीतदंश यह अत्यधिक ठंड के कारण त्वचा या ऊतकों में होने वाला नुकसान हैं
15 डिग्री सेंटीग्रेड से या इससे कम तापमान होने पर, रक्त धमनियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे शरीर का तापमान बना कर रखना कठिन हो जाता हैं
जब ऐसी दशा कुछ समय तक बनी रहती है, तब ऊतकों में चोट का खतरा हो जाता हैं
शीतदंश आमतौर पर उन ऊतकों को प्रभावित करते हैं जो दिल से दूर होते हैं
शीतदंश उन ऊतकों में भी हो जाता है जो ठंड से अधिक समय तक संपर्क में होते हैं
वे अंग जो आम तौर पर प्रभावित होते हैं, वे निम्न हैं -
नाक,
कान,
उंगलियां
पैर की उंगलियां
ऊतकों के स्थायी नुकसान को रोकने के लिए देखभाल की जानी चाहिए
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जोखिम के कारण-
मधुमेह
तंत्रिका विकृति (परिधीय न्यूरोपैथी),
बीटा अवरोधकों का उपयोग
लक्षण
त्वचा का रंग क्षीण होना
त्वचा का ढ़ीली पड़ना
सिहरन या जलन की अनुभूति
आंशिक या पूर्ण रूप से संवेदनशून्यता
गंभीर मामलों में, अंगविच्छेद से पहले त्वचा का शुष्क, सड़ना या गैंग्रीन हो जाना होता हैं।
उपचार
जितनी जल्दी संभव हो सके चिकित्सा सहायता प्राप्त करें। इस दौरान-
प्रभावित अंग को साफ कपड़े का उपयोग करते हुए लपेट दें
यदि कोई चिकित्सा सहायता प्राप्त नहीं हो पा रही हैं, तब पीड़ित व्याक्ति को किसी निकटत गर्म स्थान में ले जाएं
पहले हाइपोथर्मिया या अल्पताप का उपचार करें। व्यक्ति को अच्छी तरह से ढ़क दें
शीतदंश से प्रभावित अंग को गुनगुने पानी में रखें या धोयें परन्तु गर्म पानी में कदापि ना रखें
ऐसा तब तक करते रहें जब तक संवेदना वापस नहीं आ जाती हैं।
इनसे बचें
प्रभावित अंग को रगड़ें या मालिश ना करें
यदि दूसरी बाद ठंड लगने की जोखिम की अपेक्षा हैं तो उपचार करने से बचें
उपचार करने के बाद यदि फिर से शीतदंश हो जाये तो नुकसान बहुत ज्यादा हो जाता हैं।
निवारण
इनसे बचियें-
ज्यादा ठंड लगने से
गीले कपड़ों से
शीत लहर से
ठंड के मौसम के दौरान, कई परतों में कपड़े पहनें
अतिरिक्त सामान पहनें जैसे-
दस्ताने या मिटन्स (जिसमें अंगुठें और चारों अंगुलीयों के लिये दो हिस्से बने होते हैं)पहनें, न कि दस्ताने (जिसमें सभी अंगुलीयों के लिये हिस्से बने होते हैं)
जुराबों के दो जोड़े
दोनों कानों को अच्छी तरह से ढकने के लिये टोपी या स्कार्फ पहनें
पर्याप्त भोजन का सेवन और आराम करें
बहुत ठंड में जाने से तुरन्त पहले शराब का सेवन करने से बचें
सूती कपड़े पहनने से बचियें ।
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