Dr. Reeja Tharu द्वारा लिखित | Shaila Shroff द्वारा समिक्षित लेख on Apr 6 2017 7:07AM
जोखिम के कारण-
- मधुमेह
- तंत्रिका विकृति (परिधीय न्यूरोपैथी),
- बीटा अवरोधकों का उपयोग
लक्षण
- त्वचा का रंग क्षीण होना
- त्वचा का ढ़ीली पड़ना
- सिहरन या जलन की अनुभूति
- आंशिक या पूर्ण रूप से संवेदनशून्यता
- गंभीर मामलों में, अंगविच्छेद से पहले त्वचा का शुष्क, सड़ना या गैंग्रीन हो जाना होता हैं।
उपचार
जितनी जल्दी संभव हो सके चिकित्सा सहायता प्राप्त करें। इस दौरान-
- प्रभावित अंग को साफ कपड़े का उपयोग करते हुए लपेट दें
- यदि कोई चिकित्सा सहायता प्राप्त नहीं हो पा रही हैं, तब पीड़ित व्याक्ति को किसी निकटत गर्म स्थान में ले जाएं
- पहले हाइपोथर्मिया या अल्पताप का उपचार करें। व्यक्ति को अच्छी तरह से ढ़क दें
- शीतदंश से प्रभावित अंग को गुनगुने पानी में रखें या धोयें परन्तु गर्म पानी में कदापि ना रखें
- ऐसा तब तक करते रहें जब तक संवेदना वापस नहीं आ जाती हैं।
इनसे बचें
- प्रभावित अंग को रगड़ें या मालिश ना करें
- यदि दूसरी बाद ठंड लगने की जोखिम की अपेक्षा हैं तो उपचार करने से बचें
- उपचार करने के बाद यदि फिर से शीतदंश हो जाये तो नुकसान बहुत ज्यादा हो जाता हैं।
निवारण
- इनसे बचियें-
- ज्यादा ठंड लगने से
- गीले कपड़ों से
- शीत लहर से
- ठंड के मौसम के दौरान, कई परतों में कपड़े पहनें
- अतिरिक्त सामान पहनें जैसे-
- दस्ताने या मिटन्स (जिसमें अंगुठें और चारों अंगुलीयों के लिये दो हिस्से बने होते हैं)पहनें, न कि दस्ताने (जिसमें सभी अंगुलीयों के लिये हिस्से बने होते हैं)
- जुराबों के दो जोड़े
- दोनों कानों को अच्छी तरह से ढकने के लिये टोपी या स्कार्फ पहनें
- पर्याप्त भोजन का सेवन और आराम करें
- बहुत ठंड में जाने से तुरन्त पहले शराब का सेवन करने से बचें
- सूती कपड़े पहनने से बचियें ।
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