एक नये अध्ययन के अनुसार यह नया कोरोनावायरस लगभग तीन घंटे तक और कुछ विशेष सतहों पर तीन दिनों तक जीवित रह सकता हैं।
पहले यह सोच थी कि कोरोनावायरस केवल सतह से फैलता हैं और हवा में मौजूद नहीं रहता हैं, विशेष रूप से अस्पताल और स्वास्थ्य देखभाल के वातावण में, लेकिन यह सोच गलत साबित हुई।
लाइव साइंस की रिपोर्ट केअनुसार, शोधकर्ताओं ने पाया कि COVID-19 के कीटाणु वायुमण्डल में निलम्बित छोटी-छोटी बुंदिकाएँ अथवा कणों में 3 घंटों तक जीवित रहते हैं और जो भी इस अवधि में उसके संपर्क में आता हैं, उस व्यक्ति की कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता हैं।
हालांकि, प्रीप्रिंट डेटाबेस मेड़रक्सिव (Preprint Database MedRxiv) द्वारा
जो अध्ययन घोषित किया गया, वह अभी भी प्रारंभिक हैं, क्योंकि यह व्यापक
सहकर्मी-समीक्षा से नहीं गुजरा हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि घोषणा के बाद लेखक को एक प्रत्याशित वैज्ञानिक पत्रिका ने टिप्पणी भेजी जो कि उनके अध्ययन का समर्थन करती थी। लेखक ने 13 मार्च को संस्करण को
संशोधित कर के, फिर से प्रकाशित किया।
"हम अभी भी नहीं जानते हैं कि एक इंसान को संक्रमित करने के लिए SARS-CoV-2 (COVID-19) के कीटाणु की जीवनक्षम की सघनता कितनी अधिक होनी चाहिये, हालांकि यह कुछ ऐसा है, जिसे हम भविष्य में प्रतिमान नमूने के रूप में उपयोग करना चाहेगें," अध्ययन के सह- प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के लेखक डायलन मॉरिस ने लाइव साइंस को बताया।
वायु वाहित कीटाणु सशक्त रूप से अधिक दूरी तय कर सकते हैं।
वर्तमान अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने यह जांच नहीं की कि SARS-CoV-2 हवा के माध्यम से कितनी दूर तक यात्रा कर सकता हैं।
"अधिक महत्वपूर्ण बात यह हैं कि भले ही वायु वाहित संक्रमण हो सकता हैं, लेकिन इसके वर्तमान महामारी को फैलाने वाली प्राथमिक शक्ति होने की संभावना नहीं हैं," मॉरिस ने कहा।
वर्तमान वैज्ञानिक सर्वसम्मति यह हैं कि सतह पर बड़े श्वसन बूंदों के रूप में श्वसन के स्राव के माध्यम से अधिकांश नए कोरोना वायरस का संक्रमण होता हैं।
स्रोत-आई.ए.एन.एस