रोग के कारणों की प्रकृति और प्रगति के आधार पर भूलने की बीमारी के छह अलग-अलग प्रकार हैं ।
1.) एंटेरोग्रेड स्मृतिलोप या स्मृतिभ्रंश:
एंटेरोग्रेड भूलने की बीमारी ब्रेन ट्रॉमा के परिणामस्वरूप होती है, जिसमें हिप्पोकैम्पस, फॉर्निक्स या मैममिल्लरी बॉडीज शामिल होती है।
इस तरह के मरीज, भूलने की बीमारी की शुरुआत होने के बाद होने वाली घटनाओं को कुछ मिनट से ज्यादा तक याद नहीं रख पाते हैं। दूसरे शब्दों में, हम कहें तो इन रोगियों में, हाल की घटनाओं को लंबी अवधि वाली स्मृति में स्थानांतरित करने की क्षमता कमजोर हो जाती हैं। उदाहरण के लिए रोगी यह भी याद करने में असमर्थ होता है कि उसके सहकर्मी का नाम क्या है या उसने नाश्ते में सुबह क्या खाया था या एक दिन पहले उसने कौन सी फिल्म देखी थी।
यद्यपि व्यक्ति की बुद्धि, व्यक्तित्व और निर्णय हमेशा बरकरार रहते है, लेकिन उनकी दिन-प्रतिदिन की कार्यात्मक स्मृति कमजोर होने के कारण, उन्हें अपनी नौकरी बनाए रखने में परेशानी हो सकती है और यह व्यक्ति और उसके परिवार के लिए पीड़ाजनक हो सकता है। हालांकि, विभिन्न स्मृति-सहायता की तकनीकों को अपना कर प्रभावित व्यक्ति कमोबेश एक उद्देश्यपूर्ण जीवन व्यतीत कर सकता है।
2.) रैट्रोग्रेड़ स्मृतिलोप:
इस तरह के स्मृतिलोप में भूलने की बीमारी शुरू होने के पहले के सभी धटना-क्रमों को व्यक्ति याद नहीं कर पाता हैं। यह स्थिति किसी बीमारी से या मस्तिष्क की चोट के कारण होती है। विशेष रूप से एपिसोडिक मेमोरी से जुड़े क्षेत्र- हिप्पोकैम्पस और मीडियन टेम्पोरल लोब के क्षतिग्रस्त्र होने की वजह से होती है।
इस अवस्था में भूलने की बीमारी के ठीक पहले हुये घटनाक्रम के संबंध में याददाश्त सबसे अधिक कमजोर होती है। मरीजों में बचपन की शुरुआती यादें, वयस्क जीवन की तुलना में सुरक्षित होती हैं। इस स्थिति का अभी तक कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है।
3.) डिसोसिएटिव एम्नेसिया या असंबद्ध स्मृतिलोप
डिसोसिएटिव एम्नेसिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें रोगी महत्वपूर्ण व्यक्तिगत जानकारी को एक तरह से याद रखने में असमर्थ होता है। जिसका सामान्य विस्मृति से कोई लेना-देना नहीं है। यह आमतौर पर उन व्यक्तियों में देखा जाता है, जिन्होंने हिंसक अपराध या गंभीर दुर्घटना देखी हैं। इसका बीमारी से किसी भी तरह का संबंध नहीं होता है
इस तरह के स्मृतिलोप वाले रोगियों को पहचान का संकट का अनुभव नहीं होता है, लेकिन एक तनावपूर्ण अनुभव को रोकने के प्रयास में वे अपनी अवचेतना में एक असंबद्धता विकसित कर लेते हैं। इसके उप प्रकारों में शामिल हैं –
4.) बालोचित स्मृतिलोप-
बचपन की घटनाओं को याद करने में असमर्थता को बालोचित स्मृतिलोप के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि प्रारंभिक अवस्था में मस्तिष्क के कुछ क्षेत्रों में अपरिपक्वता के कारण ऐसा होता है। आज, इस अवस्था को मानव विकास के एक जटिल भाग के रूप में देखा जाता है क्योंकि अब यह स्पष्ट हो गया है कि यादें तभी बनने लगती हैं जब मस्तिष्क के कुछ हिस्से अच्छी तरह से परिपक्व हो जाते हैं।
5.) अस्थायी व्यापक स्मृतिलोप (TGA)
स्वस्थ व्यक्ति में इस प्रकार की भूलने की बीमारी अस्थायी होती है।
इस अवधि में, व्यक्ति हाल की घटनाओं, दृश्य या मौखिक जानकारी को कुछ मिनटों के लिये या उससे अधिक समय तक याद करने में असमर्थ होता है। इस तरह के मरीज अपनी पहचान, तत्काल याद करने की क्षमता, दूर की यादें, ध्यान अवधि, भाषा, दृश्य-स्थानिक और सामाजिक गुण को बनाए रखते हैं।
हालांकि, वे अक्सर माहौल से और उनके आसपास के लोगों से बहुत भ्रमित होते हैं। हालांकि स्मृति हानि की अवधि आमतौर पर एक दिन से अधिक समय तक नहीं होती है, लेकिन यह अनुभव भयावह हो सकता है! पीड़ितों में से कुछ को स्मृति हानि के साथ सिरदर्द, चक्कर आना, और मतली का अनुभव होता हैं। एक बार ठीक हो जाने पर, व्यक्ति यह याद रखने में सक्षम होता हैं कि उस स्मृति-लोप की अवधि के दौरान क्या-क्या हुआ था।
टीजीए (TGA) आमतौर पर हर वर्ष, प्रति 100,000 लोगों में से 3.4 से ले कर 5.2 को और खास कर पचास से अस्सी साल के पुरुषों को प्रभावित करता है।
टीजीए (TGA) के कारण विवादास्पद हैं। इनमें निम्न भी सम्मिलित हैं -
6.) वर्निके-कोर्साकॉफ्स मनोविकृति (Wernike-Korsakoff's psychosis) –
यह भूलने की बीमारी का एक प्रगतिशील विकार है जो शराब के दुरुपयोग के कारण होता है। आमतौर पर इस के साथ में न्यूरोलॉजिकल डिसफंक्शन जैसे गतिविधि के दौरान असमन्वय या उंगलियों और पैर की उंगलियों का सुन्न होना।