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मधुमेही-मोटापा

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मधुमेही-मोटापे को रोकने और पलटने के लिए जीवनशैली में बदलाव

मधुमेही-मोटापे के विकसित होने या यहां तक कि मधुमेह को उलटने की जोखिम को कम करना कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है। यदि आवश्यक हो तो दवा की सहायता से जीवनशैली में गंभीर बदलाव किया जा सकता है। कई नैदानिक परीक्षणों के अनुसार, जीवनशैली में बदलाव: जिसमें आहार में बदलाव, वजन कम होना और शारीरिक गतिविधि में वृद्धि शामिल है । इन सब से बिगड़े हुये ग्लूकोज टॉलरेंस (IGT) से ले कर टाइप -2 मधुमेह की प्रगति को प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, मधुमेह पर काबू पाने के लिए हमें वजन कम करने, शारीरिक रूप से सक्रिय रहने और अपने आहार को संशोधित करने की आवश्यकता है। यदि हम मधुमेही-मोटापे को दूर रखना चाहते हैं तो निम्नलिखित महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे:

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वजन कम करें: सबसे पहले वजन बढ़ने से बचें। लेकिन अगर हम अधिक वजन वाले हैं, तो वजन कम करने की कोशिश करने के लिए सचेत प्रयास करें। विशेषज्ञों का कहना है कि जब मोटे लोगों का वजन कम हो जाता है, तो उनके रक्त शर्करा के स्तर में जबरदस्त सुधार होता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि जब हम वजन कम करते हैं, तो सबसे पहले जो वसा यकृत या लीवर के पास में जमा होती है और यह काफी हद तक इंसुलिन प्रतिरोध के लिए जिम्मेदार होती है, वह कम होने लगती हैं।

अपने आहार में बदलाव करें: स्वस्थ आहार की ओर एक बदलाव आपके मधुमेही-मोटापे के लिए अद्भुत काम कर सकता है। उदाहरण के लिए:

  • रिफाइंड या प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के बजाय साबुत अनाज वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें। अध्ययनों से पता चला है कि परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट में उच्च ग्लाइसेमिक भार होता है, जो इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बन सकता है। ‘नर्सों के स्वास्थ्य अध्ययन’ से पता चला है कि कम आहार ग्लाइसेमिक लोड वाली महिलाओं की तुलना में उच्च आहार ग्लाइसेमिक लोड वाली महिलाओं में टाइप -2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम 37 प्रतिशत अधिक होता है। इसलिए सफेद चावल, सफेद ब्रेड, बेक्ड आलू और कार्बोनेटेड पेय से बचें।
  • फाइबर या रेशा युक्त भोजन का सेवन बढ़ाएं। फाइबर रक्त में शर्करा के अवशोषण को धीमा कर देता है और ग्लाइसेमिक इंडेक्स को कम करता है। उदाहरण के लिए, ओट्स और बीन्स में घुलनशील फाइबर, मोनोसेकेराइड के अवशोषण को धीमा कर देता है और ग्लाइसेमिक इंडेक्स को कम करता है। फल, सब्जियां, मेवा, बीज और बीन्स फाइबर से भरपूर होते हैं। अपने फाइबर का सेवन प्रति दिन 30 से 50 ग्राम तक बढ़ाएं।
  • दिन भर में हर 4 घंटे में छोटे हिस्से में आहार का सेवन करें। यह इंसुलिन और ग्लूकोज के स्तर को सामान्य रखने में हमारी मदद करता है।
  • अपना अंतिम भोजन सोने से कम से कम 2 से 3 घंटे पहले कर लें।
  • कभी-कभी डिटॉक्स डाइट या निराविषकारी आहार लें। डिटॉक्सीफाइंग डाइट से पाचन में सुधार होता है और वजन घटाने में मदद मिलती है। आहार में ब्रोकली, फूलगोभी, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, ग्रीन टी, लहसुन, चुकंदर, अनार और हरा धनिया शामिल करें।
  • करक्यूमिन का प्रयोग करें। यह रक्त शर्करा नियंत्रण को बढ़ाता है और इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाता है। करक्यूमिन प्राथमिक एंटी-ऑक्सीडेंट के स्तर को बढ़ाता है और साइटोकिन्स पैदा करने वाली सूजन को दबाता है।

नियमित रूप से व्यायाम करें: वजन प्रशिक्षण और एरोबिक व्यायाम हमारे चयापचय को बढ़ावा देने और कैलोरी जलाने का एक शानदार तरीका है। यह रक्त शर्करा नियंत्रण में सुधार करने और हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद करेगा। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन प्रति सप्ताह कम से कम 4 घंटे सशक्त एरोबिक व्यायाम और प्रतिरोध व्यायाम की सिफारिश करता है। कम वजन को बनाए रखने के लिए, हमे प्रति सप्ताह कम से कम 7 घंटे व्यायाम करने की आवश्यकता है।

तनाव कम करें: जब भी हम तनाव में होते हैं तो शरीर तनाव हार्मोन कोर्टिसोल रिलीज करता है। तनाव जितना लंबा होगा, उतना ही अधिक कोर्टिसोल का उत्पादन होगा। अतिरिक्त कोर्टिसोल वजन बढ़ने और मधुमेह से जुड़ा हुआ है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बहुत अधिक कोर्टिसोल हमारी भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोन को दबा देता है और स्नैक्स या कुछ खाने के लिए उकसाता है। फलस्वरूप ये अतिरिक्त कैलोरी हमारे पेट में चर्बी के रूप में जमा हो जाती है। और फिर हम सब जानते हैं कि क्या होता है! मधुमेही-मोटापे के अलावा, कोर्टिसोल उच्च रक्तचाप, ऑस्टियोपोरोसिस, मनोभ्रंश और अवसादग्रस्त प्रतिरक्षा जैसी अन्य स्थितियों से भी जुड़ा हुआ है।

रात में अच्छी नींद लें: रात में कम से कम 8 से 9 घंटे की नींद लें। यदि हम पर्याप्त नींद नहीं ले रहे हैं या हमें अच्छी नींद नहीं मिल रही है, तो वजन कम करना लगभग असंभव है। जो लोग अच्छी तरह से नहीं सोते हैं, वे अधिक इंसुलिन प्रतिरोधी होते हैं और उनमें कोर्टिसोल और 'घ्रेलिन' हार्मोन जो भूख को ट्रिगर करते हैं, अधिक मात्रा में हो जाते हैं और भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोन 'लेप्टिन' कम हो जाते हैं। इसका परिणाम अनावश्यक नाश्ते या स्नैकिंग में होता है और हम अतिरिक्त कैलोरी जमा करते हैं और वह पेट के मोटापे में परिवर्तित हो जाती हैं। नींद की कमी भी एंटी-ऑक्सीडेंट हार्मोन मेलाटोनिन के उत्पादन को कम करती है। मेलाटोनिन हमारे शरीर में फ्री रेडिकल्स को खत्म करता है और कैंसर को दबाने में भी मदद करता है।

सुधारित स्वास्थ्य की ओर अपनी यात्रा पर सही कदम उठाएं। वजन कम करें, स्वस्थ भोजन करें, व्यायाम करें और अच्छी नींद लें। मधुमेही-मोटापे से बचें लेकिन अगर आप पीड़ित हैं तो जीने का सही तरीका सीखें और स्वस्थ रहें।


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