मेटफॉर्मिन टाइप-2 डायबिटीज के इलाज के लिए पहली पंक्ति की दवा है। इसे 1922 में खोजा गया था और यह फ्रेंच लिलिऐक (गलिगा ऑफिसिनलिस) नामक पौधे से उत्पन्न होता है। मेटफॉर्मिन का उपयोग मेटफॉर्मिन हाइड्रोक्लोराइड नमक के रूप में किया जाता है और मुंह से प्रशासित किया जाता है। यह मधुमेह के लिए सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली दवा है। यह इंसुलिन सहित अन्य मधुमेह विरोधी दवाओं के संयोजन में निर्धारित कर के दी जाती है।
मेटफॉर्मिन लीवर द्वारा किये जाने वाले ग्लूकोज उत्पादन को कम करके और ऊतकों टीश्यू की कोशिकाओं की इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाकर रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है। यह जठरांत्र या पाचन संबंधी मार्ग से ग्लूकोज के अवशोषण को कम करता है और परिधीय ग्लूकोज का सेवन बढ़ाता है।
मेटफॉर्मिन के कई चिकित्सीय प्रभावों के बारे में बताया गया है, हालांकि मधुमेह के अलावा अन्य उपयोगों के लिए इन सबके लिये इसकी प्रतिक्रिया अभी तक प्रमाणित नहीं हुई है। इसे मोटापे से लेकर कैंसर तक की बीमारियों का इलाज बताया गया है।
पीसीओएस एक हार्मोनल विकार है जो आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों के कारण हो सकता है। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में इंसुलिन प्रतिरोध होता है जिससे इंसुलिन का उच्च स्तर हो जाता है। इससे अंडाशय टेस्टोस्टेरोन जैसे एंड्रोजन हार्मोन का अधिक उत्पादन करते हैं। नतीजन, रोगियों के शरीर के बाल बढ़ जाते हैं, मुंहासे, अनियमित मासिक धर्म और प्रजनन संबंधी समस्याएं देखी जाती हैं, जो कि पीसीओएस के मुख्य लक्षण हैं ।
मेटफॉर्मिन इंसुलिन सेंसिटाइज़र के रूप में इंसुलिन के स्तर को कम करने में मदद करती है। यह सीरम एण्ड्रोजन के स्तर को कम करके पीसीओएस सिंड्रोम की प्रजनन संबंधी असामान्यताओं में भी सहायता करती है। यह ओव्यूलेशन को भी उत्तेजित करती है और मासिक धर्म चक्र में को नियमित करने में मदद करती है।
विभिन्न केंद्रों पर किए गए अध्ययनों ने पुष्टि की है कि कम से कम छह महीने के लिए मेटफॉर्मिन उपचार पीसीओएस सिंड्रोम से पीड़ित महिलाओं में एण्ड्रोजन के स्तर को कम करता है। गर्भावस्था (जेस्टेशनल) का मधुमेह (GD), एक ऐसी स्थिति जिसमें एक महिला को गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज़ हो जाती है।
गर्भावस्था के दौरान जीडी होना मां और शिशु के लिए एक जोखिम कारक है। इसलिए गर्भपात को रोकने के लिए इंसुलिन प्रतिरोधी महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान मेटफॉर्मिन थेरेपी का पालन करना महत्वपूर्ण है।
यह पाया गया है कि मोटापा, विशेष रूप से यकृत लीवर और अग्न्याशय में अत्यधिक वसा, इंसुलिन प्रतिरोध के कारणों में से एक है। इंसुलिन प्रतिरोध की इस स्थिति में, वसा कोशिकाएं, यकृत कोशिकाएं और मांसपेशियां इंसुलिन पर प्रतिक्रिया नहीं करती हैं और रक्त से ग्लूकोज को अवशोषित करने में असमर्थ होती हैं। इससे शरीर रक्त से शर्करा को अवशोषित करने के लिए अधिक इंसुलिन का उत्पादन करता है। इंसुलिन हार्मोन मस्तिष्क को उत्तेजित करता है जिससे भूख लगती है और इसलिए इन स्थितियों में व्यक्ति की भूख बढ़ जाती है। मेटफॉर्मिन रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ने से रोकता है, इस प्रकार इंसुलिन के निस्तार को कम करता है और इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाता है। जिस से रोगी को भूख नहीं लगती और उसका वजन कम हो जाता है।
मेटफॉर्मिन का वजन बढ़ने पर कम प्रभाव होता है, जबकि अन्य मधुमेह-रोधी दवाईयाँ जैसे सल्फ़ोनिल यूरिया आदि मेटफॉर्मिन की तुलना में वज़न बढ़ाती हैं। मधुमेह की अन्य दवाओं की तुलना में इसमें हाइपोग्लाइसीमिया की जोखिम कम है। गर्भावस्था के दौरान इस दवा का सेवन करना भी सुरक्षित है।