रक्त ग्लूकोज की स्व-निगरानी (एसएमबीजी) मधुमेह के प्रबंधन में सबसे बड़ी प्रगति में से एक है।
संयुक्त राज्य अमेरिका में मधुमेह के इलाज की लागत वर्ष 2002 में 132 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई। भारत में पिछले एक दशक में मधुमेह की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है। पिछले सौ वर्षों में 'डायबिटीज मेलिटस' के प्रबंधन में दो बड़ी तरक़्क़ी हुई हैं- एक हैं 1922 में इंसुलिन की खोज और दूसरी 1978 में रक्त शर्करा के स्तर की स्व-निगरानी (एसएमबीजी) का विकास है।
वर्तमान प्रगति ने स्व-निगरानी को बहुत सरल और काफी सटीक बना दिया है। एसएमबीजी के द्वारा घर पर बिना किसी प्रयोगशाला में गये ही, आवश्यकता के अनुसार एफ.बी.जी. (फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज) या पी.पी.बी.जी. (पोस्ट प्रांडियल ब्लड ग्लूकोज) की जांच करना आसान हो गया हैं। जिससे मधुमेह रोग विशेषज्ञ के पास अपनी दवाएं बदलने के लिए जाने की जरूरत नहीं होती हैं, फोन से ही सलाह ली जा सकती हैं।
शरीर में ग्लूकोज के स्तर की जाँच करने के लिए रक्त परीक्षण यह एक अधिक प्रत्यक्ष और सटीक तरीका है। मूत्र में भी शर्करा की जांच की जा सकती है लेकिन यह एक अप्रत्यक्ष तरीका है और यह शरीर में शर्करा के नियंत्रण को सही ढंग से नहीं दर्शाता है।