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मधुमेह - रक्त शर्करा की स्व-निगरानी (एस.एम.बी.जी)

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एस.एम.बी.जी के लिए प्रयुक्त ग्लूकोमीटर और अन्य उपकरण

रक्त ग्लूकोज मीटर या ग्लूकोमीटर:

रक्‍त में ग्लूकोज एस.एम.बी.जी (SMBG) स्‍तर की स्‍वयं जांच करने के लिये यह सबसे उपयोगी उपकरण हैं। इन निम्नलिखित दो सिद्धांतों के आधार पर आज अनेक ब्रैंडों के विभिन्न प्रकार के ग्लूकोमीटर बाजार में उपलब्ध हैं:

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  • इस परीक्षण स्ट्रिप पर एक रसायन लगा होता हैं, वह जैसे ही ग्लूकोज के संपर्क में आता हैं, उसका रंग परिवर्तित हो जाता हैं। ग्लूकोमीटर इस रंग की गहनता और ग्लूकोज के स्तर को माप कर, परिणाम एमजी / डीएल में व्‍य‍क्‍त करता हैं।
  • अन्य प्रकार के ग्लूकोमीटर रक्त में विद्यमान विद्युत् करंट मापते हैं, जो ग्लूकोज की उपस्थिति की मात्रा पर निर्भर करता हैं। जब रक्त को परीक्षण स्ट्रिप पर रखा जाता हैं, तब एंजाइम परीक्षण स्ट्रिप में निहित इलेक्ट्रॉन को ग्लूकोज से एक रसायन में परिवर्तित कर देता हैं और मीटर करंट के रूप में इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह को मापता हैं। करंट की मात्रा ग्लूकोज की उपस्थित मात्रा पर निर्भर करती हैं और मीटर एमजी / डीएल में रीडिंग प्रदान करता हैं।

ग्लूकोमीटर की सटीकता:
कभी-कभी लोग मीटर रीडिंग की सटीकता के बारे में चिंतित रहते हैं। मापन आमतौर पर काफी विश्वसनीय होते हैं। लैब्रॉट्री के नमूनों और ग्लूकोमीटर की रीडिंग के बीच निम्नलिखित कारणों से मामूली अंतर हो सकता हैं:

  • रीडिंग में 10-15% का अंतर - क्योंकि लैब्रॉट्री प्लाज्मा रक्त का उपयोग करती हैं जबकि ग्लूकोमीटर समग्र रक्त का उपयोग करते हैं।
  • ग्लूकोमीटर केशिका (केपिलेरी) रक्त का प्रयोग करते हैं जबकि लैब्रॉट्री प्लाज्मा या नसों (वेनस) रक्त का उपयोग करती हैं। केपिलेरी रक्त प्लाज्मा रक्त की तुलना में थोड़ी अधिक रीडिंग या पाठ्यांक दे सकता हैं ।

ग्लूकोमीटर के लाभ
इसके स्पष्ट निम्न लाभ हैं:-

  • यह मधुमेह रोगियों को नियमित रूप से डॉक्टरों और लैब्रॉट्री में जाए बिना उनका स्वयं का ध्यान रखने में सक्षम करता हैं।
  • यह रोगी की सेहत में सुधार करता हैं।
  • यह हाइपोग्लाइसीमिया का पता लगाने और उसकी पुष्टि करने में मदद करता हैं।
  • यह दवाओं की बेहतर समझ प्रदान कर दवाईयों को बदलने में भी मदद करता हैं ।
  • यह संक्रमण का पता लगाने में मदद करता हैं। उच्च रक्त शर्करा संक्रमण या बीमारी का संकेत हो सकता हैं जिसका उपचार किया जाना चाहिए।

जांच की पट्टियां
प्रत्येक ग्लूकोमीटर की अपनी स्वयं की परीक्षण पट्टी या स्ट्रिप्स होती हैं और खरीदने के पहले सही पट्टी की जानकारी कर लेना चाहिए। परीक्षण पट्टी में एक कोड़ या संकेत-लिपि होती हैं और इनका उपयोग करने से पहले निर्देशानुसार ग्लूकोमीटर को सही कोड़ पर स्थित या सैट करना चाहिए।

सुईयाँ
इन सुईयों का उपयोग उंगली में चुभा कर खून की एक बूंद प्राप्त कर परीक्षण पट्टी पर रखने के लिये किया जाता हैं। प्रत्येक चुभाने वाले उपकरण की अपनी सुई होती हैं। सुईयां रोगाणु रहित होती हैं और उन्हें साझा नहीं किया जाना चाहिए। इनका इस्तेमाल एक ही व्यक्ति कई बार भी कर सकते हैं।

निष्कर्ष
इस तरह हम यह देखते हैं कि बाजार में, उपलब्ध सभी आधुनिक उपकरणों और मधुमेह की थोड़ी सी समझ के साथ, कोई भी नियमित रूप से डॉक्टरों या स्वास्थ्य पेशेवरों के पास जाने की आवश्यकता के बिना ही, रक्त शर्करा के स्तर की निरंतर निगरानी करके अपना ख्याल रख सकता है।


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