Dr. Reeja Tharu द्वारा लिखित | Shaila Shroff द्वारा समिक्षित लेख on
मधुमेह या डायबिटीज़ मेलिटस यह एक वंशानुगत, गंभीर प्रभाव वाली चयापचय बीमारी हैं। जिसे नियमित व्यायाम, उचित आहार और दवाईयों के माध्यम से, आसानी से नियंत्रित किया जा सकता हैं।
टाइप 2 मधुमेह के अन्य नाम: - ग़ैर-इंसुलिन-निर्भर मधुमेह मेलिटस (NIDDM), वयस्क-प्रांरभ
मधुमेह मेलिटस(DM) एक चयापचय बीमारी हैं, जिसमें प्रभावित व्यक्ति के लिए, खाने को ऊर्जा में परिवर्तित करना एक चुनौती भरा काम हैं। इसमें सामान्य स्तर से अधिक रक्त ग्लूकोस बढ़ जाता हैं और ऊर्जा बहुत कम, जिससे उनमें काम करने की शक्ति कम हो जाती हैं।
टाइप 2 मधुमेह मेलिटस, करीब दो दशक पहले, मध्य आयु के और समृद्ध लोगों के बीच में आम था । वैश्वीकरण और बदलती जीवन शैली के साथ, अब विकासशील देशों में यह बीमारी बहुत आम हैं। भारत और चीन में मधुमेह रोगियों की संख्या सबसे अधिक हैं, आज भारत को विश्व की मधुमेह राजधानी के रूप में जाना जा रहा हैं।
अमेरिका में 60 लाख लोगों को टाइप 2 का मधुमेह हैं। भारत में 3 करोड़ या उससे अधिक मधुमेह रोगी हैं। 1998 में जारी डब्ल्यू. एच. ओ. के अनुमान के अनुसार, 2025 तक दुनिया में मधुमेह रोगियों की अधिकतम संख्या भारत में होगी।
आम तौर पर, भोजन के बाद, खाया गया खाना ग्लूकोस में बदल जाता हैं - जो एक किस्म का कार्बोहाइड्रेट हैं और इसे 'चीनी' के रूप में जाना जाता हैं। सामान्यतः अग्न्याशय द्वारा स्रावित एक हार्मोन, इंसुलिन की मदद से यह ग्लूकोज शरीर की विभिन्न कोशिकाओं में पहुंचा दिया जाता हैं जो शक्ति में परिवर्तित हो कर, कोशिकाओं को उनके कार्य करने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता हैं।
जब मांसपेशियों की कोशिकाए, यकृत और वसा के ऊतक प्रभावी ढंग से इंसुलिन का उपयोग करने में विफल होते हैं, तब टाइप 2 मधुमेह हो गया हैं यह माना जाता हैं। इसके परिणाम स्वरूप रक्त ग्लूकोज के स्तर में वृद्धि होती हैं और कोशिकाए ऊर्जा से वंचित हो जाती हैं।
रक्त ग्लूकोज के स्तर में वृद्धि, रक्त वाहिकाओं और नसों को नुकसान पहुंचाता हैं और गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं जैसे हृदय रोग, स्ट्रोक, गुर्दे की बीमारी, मसूड़ों में संक्रमण, और आंख की समस्याओं के रूप में अंधापन की ओर ले जा सकता हैं।
एक सूचनानुसार अमेरिका में लगभग 8 प्रतिशत वयस्कों को टाइप 2 मधुमेह हैं। मगर अफ़सोस हैं कि, काफी लोग इससे अनजान हैं, क्योंकि उन्हें कोई संकेत या लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।
गर्भवती महिलाओं में टाइप 2 मधुमेह पाया जाता हैं और तब इसे गर्भावधि मधुमेह मेलिटस (जी डी एम), कहा जाता हैं। उनमें से बहुतों को प्रसव के बाद यह ठीक हो जाता हैं। पूर्व गर्भावधि मधुमेह (पी जी डी एम) से पीड़ित महिलाओं को उनके जीवन के बाद के चरण में टाइप 2 मधुमेह विकसित होने की उच्च जोखिम होती हैं। इस कारण से जी डी एम को रोग का प्रारंभिक चरण माना जाता हैं। इसे एक ह्रदय वाहिनी रोगों के बढ़ने के जोखिम संकेतक के रूप में भी जाना जाता हैं।
इन आधुनिक समय में टाइप 2 डी एम हुए बच्चों को पाना असामान्य नहीं हैं जबकि, कुछ साल पहले केवल टाइप 1 मधुमेह बच्चों में पायी जाती थी। बालपन मोटापा, जो समृद्ध आबादी के बीच काफी उग्रता से फैला हुआ हैं, इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बनता हैं, जो बाद में पूर्ण विकसित टाइप 2 डी एम की ओर ले जाता हैं। यह रोग, बच्चों में कई जटिलताओं का कारण बनता हैं, जैसे ह्रदय वाहिनी रोग, लकवा, रोधगलन (एम आई) और यहां तक कि अचानक मौत। गुर्दे की जटिलता और न्यूरोपैथी भी आम हैं।
'पूर्व मधुमेह' यह वह स्थिति हैं जब एक व्यक्ति में रक्त ग्लूकोज स्तर सामान्य से अधिक लेकिन आम मधुमेह मूल्यों की तुलना से कम होता हैं। पूर्व मधुमेह की स्थिति, एक व्यक्ति के लिए मधुमेह और दिल की बीमारियों होने की पूर्व सूचना हैं। जब एक बार किसी व्यक्ति को 'पूर्व मधुमेह' घोषित किया जाता हैं, तब एक नियंत्रित जीवन शैली जिसमें, स्वस्थ आहार और मध्यम व्यायाम हो, उसे स्थापित करना उनके लिए महत्वपूर्ण होता हैं, ताकि रोग को शुरुआत में ही रोका जा सके।
मधुमेह संक्रामक नहीं हैं लेकिन परिवार में आनुवंशिक हो सकता हैं। यह एक गंभीर स्वास्थ्य की स्थिति हैं जिसे प्रभावी प्रबंधन द्वारा नियंत्रण में लाया जा सकता हैं।
मधुमेह संक्रामक नहीं है लेकिन परिवारों में वंशानुगत हो सकता है। यह एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है जिसे प्रभावी प्रबंधन द्वारा नियंत्रण में लाया जा सकता है।
"डायबिटीज वॉलेट कार्ड" डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें।कारण और जोखिम कारक
मधुमेह के कारणों के बारे में बहुत सारे मिथक हैं। एक यह है कि बहुत अधिक मिठाई या कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन खाने से मधुमेह होता है। यह सच नहीं है लेकिन तथ्य यह है कि इन दोनों प्रकार के भोजन से मोटापा होता है जो मधुमेह के मुख्य कारणों में से एक है।
एक और मिथक यह है कि तनाव से मधुमेह होता है, यह भी सच नहीं है। लेकिन तनाव प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकता है जो टाइप 2 मधुमेह को सक्रिय कर सकता है। इसके अलावा तनाव मधुमेह वाले किसी व्यक्ति के मौजूदा लक्षणों को बढ़ा सकता है।
टाइप 2 मधुमेह तब होता है जब:-
- शरीर के वाहक (रिसेप्टर्स) जो इंसुलिन के लिये प्रतिक्रिया करते हैं, ऐसा करने में विफल हो जाते हैं (इंसुलिन प्रतिरोध)। इस से इंसुलिन-उत्पादक अग्नाशय कोशिकायें, जो अत्यधिक इंसुलिन का उत्पादन करती हैं उन्हें गलत संकेत भेजा जा सकता है।
- जो इंसुलिन उत्पन्न होता है, यदि वह विकृत होता है तो उसके खराब किस्म का होने से, कार्याशील नहीं हो पाता है
मधुमेह संक्रामक नहीं है लेकिन परिवारों में वंशानुगत हो सकता है। यह एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है जिसे प्रभावी प्रबंधन द्वारा नियंत्रण में लाया जा सकता है।
कारण और जोखिम कारक
मधुमेह के कारणों के बारे में बहुत सारे मिथक हैं। एक यह है कि बहुत अधिक मिठाई या कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन खाने से मधुमेह होता है। यह सच नहीं है लेकिन तथ्य यह है कि इन दोनों प्रकार के भोजन से मोटापा होता है जो मधुमेह के मुख्य कारणों में से एक है।
एक और मिथक यह है कि तनाव से मधुमेह होता है ,यह भी सच नहीं है। लेकिन तनाव प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकता है जो टाइप 2 मधुमेह को सक्रिय कर सकता है। इसके अलावा, तनाव मधुमेह वाले किसी व्यक्ति के मौजूदा लक्षणों को बढ़ा सकता है।
टाइप 2 मधुमेह तब होता है जब:-
- शरीर के वाहक (रिसेप्टर्स) जो इंसुलिन के लिये प्रतिक्रिया करते हैं, ऐसा करने में विफल हो जाते हैं (इंसुलिन प्रतिरोध)। इस से इंसुलिन-उत्पादक अग्नाशय कोशिकायें, जो अत्यधिक इंसुलिन का उत्पादन करती हैं उन्हें गलत संकेत भेजा जा सकता है।
- जो इंसुलिन उत्पन्न होता है, यदि वह विकृत होता है तो उसके खराब किस्म का होने से, कार्याशील नहीं हो पाता है।
मधुमेह संक्रामक नहीं है लेकिन परिवारों में वंशानुगत हो सकता है। यह एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है जिसे प्रभावी प्रबंधन द्वारा नियंत्रण में लाया जा सकता है।
कारण और जोखिम कारक
मधुमेह के कारणों के बारे में बहुत सारे मिथक हैं। एक यह है कि बहुत अधिक मिठाई या कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन खाने से मधुमेह होता है। यह सच नहीं है लेकिन तथ्य यह है कि इन दोनों प्रकार के भोजन से मोटापा होता है जो मधुमेह के मुख्य कारणों में से एक है।
एक और मिथक यह है कि तनाव से मधुमेह होता है ,यह भी सच नहीं है। लेकिन तनाव प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकता है जो टाइप 2 मधुमेह को सक्रिय कर सकता है। इसके अलावा, तनाव मधुमेह वाले किसी व्यक्ति के मौजूदा लक्षणों को बढ़ा सकता है।
टाइप 2 मधुमेह तब होता है जब:-
- शरीर के वाहक (रिसेप्टर्स) जो इंसुलिन के लिये प्रतिक्रिया करते हैं, ऐसा करने में विफल हो जाते हैं (इंसुलिन प्रतिरोध)। इस से इंसुलिन-उत्पादक अग्नाशय कोशिकायें, जो अत्यधिक इंसुलिन का उत्पादन करती हैं उन्हें गलत संकेत भेजा जा सकता है।
- जो इंसुलिन उत्पन्न होता है, यदि वह विकृत होता है तो उसके खराब किस्म का होने से, कार्याशील नहीं हो पाता है
- इंसुलिन की पर्याप्त मात्रा का उपलब्ध न होना।
जोखिम कारक में शामिल हैं -
- बढ़ती उम्र
- काफी निष्क्रिय जीवनशैली-सप्ताह में 3 बार से कम व्यायाम करें
- मोटापा
- गर्भकालीन मधुमेह
- अग्न्याशय को हानि पहुंचाने वाली बीमारियां
- प्रथम श्रेणी परिवार जिनमें मधुमेह हैं
- जातीयता - यदि आप अमेरिकी भारतीय, अफ्रीकी अमेरिकी, एशियाई अमेरिकी, हिस्पैनिक/लैटीन, अलास्का मूल निवासी या प्रशांत द्वीप वासी हैं।
- रक्तचाप 140/90 मिमी एचजी या इससे अधिक तक बढ़ जाता है।
- असामान्य कोलेस्ट्रॉल स्तर -
- HDL "अच्छा" कोलेस्ट्रॉल का स्तर 35 mg/dL से नीचे है
- या ट्राइग्लिसराइड "खराब कोलेस्ट्रॉल" का स्तर 250 से ऊपर है mg/dL.
- हृदय रोग का इतिहास।
- कुछ दवाएं जैसे -
- बीटा ब्लॉकर्स,
- स्टेरॉयड,
- मौखिक गर्भ निरोधक,
- थियाजाइड मूत्रवर्धक,
- फ़िनाइटोइन सोडियम
- पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम, जिसे महिलाओं में पीसीओएस कहा जाता है।
- वयस्कों में क्षय रोग।
- खराब ग्लूकोज सहिष्णुता परीक्षण(IGT)
- इंसुलिन प्रतिरोध से जुड़ी बीमारियां जैसे एकैन्थोसिस नाइग्रिकन्स जिसकी विशेषता है कि गर्दन या बगल के चारों ओर काले, मखमली दाने हो जाते हैं।
- इंसुलिन की पर्याप्त मात्रा का उपलब्ध न होना।
जोखिम कारक में शामिल हैं -
- बढ़ती उम्र
- काफी निष्क्रिय जीवनशैली-सप्ताह में 3 बार से कम व्यायाम करें
- मोटापा
- गर्भकालीन मधुमेह
- अग्न्याशय को हानि पहुंचाने वाली बीमारियां
- प्रथम श्रेणी परिवार जिनमें मधुमेह हैं
- जातीयता - यदि आप अमेरिकी भारतीय, अफ्रीकी अमेरिकी, एशियाई अमेरिकी, हिस्पैनिक/लैटीन, अलास्का मूल निवासी या प्रशांत द्वीप वासी हैं।
- रक्तचाप 140/90 मिमी एचजी या इससे अधिक तक बढ़ जाता है।
- असामान्य कोलेस्ट्रॉल स्तर -
- HDL "अच्छा" कोलेस्ट्रॉल का स्तर 35 mg/dL से नीचे है
- या ट्राइग्लिसराइड "खराब कोलेस्ट्रॉल" का स्तर 250 से ऊपर है mg/dL.
- हृदय रोग का इतिहास।
- कुछ दवाएं जैसे -
- बीटा ब्लॉकर्स,
- स्टेरॉयड,
- मौखिक गर्भ निरोधक,
- थियाजाइड मूत्रवर्धक,
- और फ़िनाइटोइन सोडियम
- पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम, जिसे महिलाओं में पीसीओएस कहा जाता है।
- वयस्कों में क्षय रोग।
- खराब ग्लूकोज सहिष्णुता परीक्षण (IGT)
- इंसुलिन प्रतिरोध से जुड़ी बीमारियां जैसे एकैन्थोसिस नाइग्रिकन्स जिसकी विशेषता है कि गर्दन या बगल के चारों ओर काले, मखमली दाने हो जाते हैं।