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मधुमेह - अनिवार्यतायें

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मधुमेह का अवलोकन

मधुमेह या मधुमेह मेलिटस (डीएम), एक अंतःस्रावी सह चयापचय संबंधी विकार है जो उच्च रक्त शर्करा का स्तर ( हाइपरग्लेसेमिया ) को बढ़ाता हैं और लंबे समय के बाद इसमें बार-बार पेशाब आना, प्यास का बढ़ना और भूख लगना जैसे लक्षण शामिल हो जाते हैं।

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मधुमेह मेलेटस के प्रकार क्या हैं?

मधुमेह के तीन मुख्य प्रकार हैं:

  • टाइप 1 मधुमेह को "इंसुलिन-आश्रित मधुमेह मेलिटस" (आईडीडीएम) या " किशोर मधुमेह " भी कहा जाता है, जो अग्न्याशय के पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने में विफलता के कारण होता है।
  • टाइप 2 डीएम को "गैर-इंसुलिन-निर्भर मधुमेह मेलिटस" (एनआईडीडीएम) या "वयस्क-शुरुआत मधुमेह" भी कहा जाता है, जो मुख्य रूप से इंसुलिन प्रतिरोध के कारण होता है, एक ऐसी स्थिति जिसमें कोशिकाएं इंसुलिन का ठीक से जवाब देने में विफल हो जाती हैं यानी प्रतिरोधी बन जाती हैं। .
  • गर्भावधि मधुमेह - गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्त शर्करा का स्तर।

रक्त शर्करा स्तर और रक्त ग्लूकोज तालिका (चार्ट)

एक सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के लिए, उपवास या फास्टिंग ब्लड शुगर लगभग 70-99 mg/dL और "पोस्ट" याने भोजन के दो घंटे बाद मापी जाने वाली रक्त शर्करा 140 मिलीग्राम/डीएल से कम होनी चाहिए। मिलीग्राम/ डीएल प्रारंभिक मधुमेह का सुझाव देता है। स्थापित मधुमेह वाले व्यक्तियों में, उपवास रक्त शर्करा 126 से अधिक है और प्रैन्डियल रक्त शर्करा 200 mg/dL से अधिक होती है।

मधुमेह की जटिलतायें क्या हैं?

दीर्घकालिक और अनियंत्रित मधुमेह की मुख्य जटिलताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

डायबिटिक रेटिनोपैथी: आंख के रेटिना में रक्त वाहिकाओं की क्षति के परिणामस्वरूप दृष्टि की हानि होती है।

मधुमेह अपवृक्कता या नैफ्रोपैथी: गुर्दे को नुकसान, जिसके कारण ऊतक पर क्षतचिह्न हो जाते हैं, प्रोटीन की कमी हो जाती है, गुर्दे की गंभीर बीमारी हो जाती है, कभी-कभी डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है।

मधुमेह न्यूरोपैथी : नसों को नुकसान मधुमेह की सबसे आम जटिलता है और इसमें झुनझुनी, सुन्नता, दर्द और जैसे लक्षण शामिल हैं। दर्द संवेदना से त्वचा को नुकसान पहुंचता है। मधुमेह में पैर के अल्सर हो सकते हैं जिनका इलाज करना मुश्किल होता है और कभी-कभी विच्छेदन की आवश्यकता होती है।

हृदय रोग: मधुमेह हृदय रोगों के जोखिम को दोगुना कर देता है और मधुमेहियों में लगभग 75% मौतें कोरोनरी धमनी की बीमारी के कारण होती हैं। यह स्ट्रोक और परिधीय धमनी रोग का भी कारण बनता है।

संज्ञानात्मक कमी: मधुमेह के व्यक्तियों में संज्ञानात्मक या संवेदनात्मक कार्य में गिरावट की दर 1.2-1.5 गुना अधिक होती है।

मधुमेह का प्रबंधन और उपचार कैसे करें?

प्रारंभिक मधुमेह का उपचार आहार, जीवन शैली और नियमित व्यायाम में संशोधन करके किया जा सकता है। यदि ये उपाय विफल हो जाते हैं, तो दवाईयों की आवश्यक हो सकती हैं। एक मधुमेही को कुछ दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए, जो विकार के प्रबंधन और जटिलताओं को रोकने में मदद करेंगे। मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति के लिए इन्हें मधुमेह के लिये आवश्यक या ‘जानने योग्य अनिवार्य तथ्य’ (डायबिटीज एसेंशियल या 'मस्ट नो फैक्ट्स') कहा जाता है। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जिसका अगर समय पर पता चल जाए, तो इसे नियमित जांच, निर्धारित दवाओं और जीवन शैली में परिवर्तन कर के आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

मधुमेह दुनिया भर में एक आम विकार हैं, जो सभी आयु वर्ग के पुरुषों और महिलाओं को प्रभावित करता हैं। अब नए उपकरणों की उपलब्धता के साथ, व्यक्ति अपने रक्त में शर्करा के स्तर पर कड़ा नियंत्रण एवं अल्पकालिक और दीर्घकालिक अवधि में होने वाली मधुमेह जटिलताओं से बचाव कर सकता हैं। इसके अतिरिक्त, इंसुलिन इंजेक्शन तकनीकी में निरंतर सुधार किया जा रहा हैं, जिससे यह कम दर्द देने वाली और उपयोग करने मे आसान हो गई हैं। मधुमेह से पीडित व्यक्ति के लिए कुछ अत्यावश्यक वस्तुएं हैं जो निम्न हैं:-

1. रक्त ग्लूकोज मीटर/ग्लूकोमीटर से रक्त शर्करा के स्तर की नियमित निगरानी:

रक्‍त में ग्लूकोज (SMBG)स्‍तर की स्‍वयं जांच करने के लिये यह सबसे उपयोगी उपकरण हैं। आज अनेकों ब्रैंड़ के विभिन्‍न प्रकार के घरेलू रक्त ग्लूकोज निगरानी (एचबीजीएम) ग्लूकोमीटर बाजार में उपलब्‍ध हैं।
ग्लूकोमीटर कैसे काम करता हैं?

  1. इस परीक्षण स्ट्रिप पर एक रसायन लगा होता हैं, वह जैसे ही ग्लूकोज के संपर्क में आता हैं, उसका रंग परिवर्तित हो जाता हैं। ग्लूकोमीटर इस रंग की गहनता और ग्लूकोज के स्तर को माप कर, परिणाम एमजी / डीएल में व्‍य‍क्‍त करता हैं।
  2. अन्य प्रकार के ग्लूकोमीटर रक्त में विद्युत् करंट मापते हैं, जो ग्लूकोज की उपस्थिति की मात्रा पर निर्भर करता हैं। जब रक्त को परीक्षण स्ट्रिप पर रखा जाता हैं, तब एंजाइम परीक्षण स्ट्रिप में निहित इलेक्ट्रान को ग्लूकोज से एक रसायन में परिवर्तित कर देता हैं और मीटर करंट के रूप में इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह को मापता हैं। करंट की मात्रा ग्लूकोज की उपस्थित मात्रा पर निर्भर करती हैं और मीटर एमजी / डीएल में रीडिंग प्रदान करता हैं।
ग्लूकोमीटर की सटीकता: कभी-कभी लोग मीटर रीडिंग की सटीकता के बारे में चिंतित रहते हैं। मापन आमतौर पर काफी विश्वसनीय होते हैं। लैब्रॉट्री के नमूनों और ग्लूकोमीटर की रीडिंग के बीच निम्नलिखित कारणों से मामूली अंतर हो सकता हैं:
  1. रीडिंग में 10-15% का अंतर - क्योंकि लैब्रॉट्री प्लाज्मा रक्त का उपयोग करती हैं जबकि ग्लूकोमीटर समग्र रक्त का उपयोग करते हैं।
  2. ग्लूकोमीटर केशिका (केपिलेरी) रक्त का प्रयोग करते हैं जबकि लैब्रॉट्री शिरापरक (वेनस) रक्त का उपयोग करती हैं। केपिलेरी रक्त शिरापरक रक्त की तुलना में थोड़ी अधिक रीडिंग या पाठ्यांक दे सकता हैं ।
जांच की पट्टियां: प्रत्येक ग्लूकोमीटर की अपनी स्वयं की परीक्षण पट्टी या स्ट्रिप्स होती हैं और खरीदने के पहले सही पट्टी की जानकारी कर लेना चाहिए। परीक्षण पट्टी में एक कोड़ या संकेत-लिपि होती हैं और इनका उपयोग करने से पहले निर्देशानुसार ग्लूकोमीटर को सही कोड़ पर स्थित या सैट करना चाहिए।
सुई: इन सुईयों का उपयोग उंगली में चुभा कर खून की एक बूंद प्राप्त कर परीक्षण पट्टी पर रखने के लिये किया जाता हैं। प्रत्येक चुभाने वाले उपकरण की अपनी सुई होती हैं। सुईयाँ रोगाणु रहित होती हैं और उन्हें साझा नहीं किया जाना चाहिए। इनका इस्तेमाल एक ही व्यक्ति कई बार भी कर सकते हैं।
ग्लूकोमीटर के लाभ
इसके स्पष्ट लाभ निम्न हैं:-
  • यह मधुमेह रोगियों को नियमित रूप से डॉक्टरों और लैब्रॉट्री में जाए बिना उनका स्वयं का ध्यान रखने में सक्षम करता हैं।
  • यह रोगी की सेहत में सुधार करता हैं।
  • यह हाइपोग्लाइसीमिया का पता लगाने और उसकी पुष्टि करने में मदद करता हैं।
  • यह दवाओं की बेहतर समझ प्रदान कर दवाईयों को बदलने में भी मदद करता हैं ।
  • रोगी और डॉक्टरों की यह देखने के लिए मदद करता है कि क्या उपचार कार्यक्रम सहीरूप से काम कर रहा है या नहीं। रोगीयों के भोजन, गतिविधियों, दवाओं और व्यायाम व्यवस्थाओं की योजना बनाने में भी मदद करता है।
  • यह संक्रमण का पता लगाने में मदद करता हैं। उच्च रक्त शर्करा संक्रमण या बीमारी का संकेत हो सकता हैं जिसका उपचार किया जाना चाहिए।

वर्तमान में, बहुत सी कंपनियां और अनुसंधान समूह गैर-आक्रामक उपकरणों पर काम कर रहे हैं जैसे कि ग्लूकोट्रैक, ग्लूकोसेंस और ग्लूकोवाइज जो रक्त शर्करा के स्तर को दर्द रहित तरीके से निर्धारित कर सकते हैं।

HbA1c रक्त परीक्षण पिछले तीन महीनों में रक्त शर्करा नियंत्रण कितना प्रभावी रहा यह मापता है, इससे स्वास्थ्य देखभाल टीम को उपचार तय करनें में मदद मिलती है।

2. मधुमेह - केटोन स्ट्रिप से रक्त शर्करा के स्तर की नियमित निगरानी:

जिनके शरीर में इंसुलिन का निर्माण नहीं हो रहा हैं ऐसे टाइप I मधुमेह वालो के लिए यह बहुत जरूरी हैं । इंसुलिन के कम होने के कारण उनका शरीर कार्बोहाइड्रेट का उपयोग नहीं कर सकता, जो कि ऊर्जा का मुख्य स्रोत हैं। ऐसी स्थिति में, शरीर तब संग्रहित वसा से ऊर्जा प्राप्त करने का प्रयास करता हैं। इंसुलिन की अनुपस्थिति में वसा का टूटना शरीर में ‘केटोन (अम्लतरक्तता)'का निर्माण करता हैं और इस स्थिति को किटोसिस कहा जाता हैं। किटोसिस के विशिष्ट लक्षण मतली, उल्टी, सांस से फल की गंध आना और निर्जलीकरण हैं।

केटोन स्ट्रिप्स एक बोतल में उपलब्ध हैं, जिन पर विभिन्न रंग के कोड़ चिन्हित होते हैं। प्रत्येक रंग केटोन्स की मात्रा कितनी हैं यह दर्शाते हैं। यदि ऊपरोक्त वर्णित लक्षणों में से कोई एक भी लक्षण पाया जाये तो, एक केटोन स्ट्रिप को मूत्र में डुबो कर, स्ट्रिप के रंगीन हिस्से में होने वाले परिवर्तन को देखकर अम्लतरक्तता (केटोन्स) की जांच की जा सकती हैं। पेशाब में केटोन पाए जाने पर स्वास्थ्य देखभाल सेवा टीम को तुरंत सूचित करके उपचार प्राप्त करना अति आवश्यक हैं।

टाइप I मधुमेह वाले बच्चे, जिन्हें दिन में कई बार इंजेक्शन या इंसुलिन पंप पर रखा जाता हैं उनके लिये यह स्ट्रिप्स बहुत आवश्यक हैं। यदि किसी कारणवश पंप काम करना बंद कर दे, ठंड या बीमारी के दौरान जब शरीर कोशिकाऐ इंसुलिन का तेजी से उपयोग करने लगती हैं, तब इंसुलिन की उच्च खुराक लेने की आवश्यकता हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में तत्काल निर्णय लेने में यह बहुत उपयोगी सिद्ध होती हैं ।

3. अपने रक्तचाप को नियमित रूप से मापें:

टाइप 1 मधुमेह वाले लगभग 25% और टाइप 2 मधुमेह वाले 80% लोगों में उच्च रक्तचाप होता है। यदि आप मधुमेह रोगी हैं, तो अपने रक्तचाप को अच्छी तरह से नियंत्रित रखने का प्रयास करें क्योंकि उच्च रक्तचाप से हृदय रोग, स्ट्रोक और कुछ अन्य जटिलताओं के विकास का खतरा बढ़ जाता है।

  • अपने रक्तचाप को नियमित रूप से मापें।
  • हर बार मापते समय दो या तीन बार रीडिंग लें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आपके परिणाम सटीक हैं।
  • रक्तचाप पर जीवनशैली में बदलाव के कारण होने वाले प्रभाव पर ध्यान रखें।
  • कभी-कभी, रक्तचाप को कम करने के लिए दवा की आवश्यकता होती है।

4. अपने रक्त वसा (लिपिड प्रोफाइल) को मापें:

अधिकांश मधुमेह रोगियों में उच्च सीरम कोलेस्ट्रॉल का स्तर होता है, जो कोरोनरी हृदय रोग और एथेरोस्क्लेरोसिस में योगदान देता है। मधुमेह उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) या अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है लेकिन ट्राइग्लिसराइड्स और कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) या खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाता है जिससे मधुमेह संबंधी डिस्लिपिडेमिया होता है।

  • रक्त लिपोप्रोटीन प्राप्त करें आपके एलडीएल, एचडीएल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर की जांच और प्रबंधन के लिए नियमित रूप से प्रोफाइल किया जाता है।
  • जीवन शैली में संशोधन और स्टैटिन का उपयोग आमतौर पर उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए किया जाता है।

    5. अपने वजन की नियमित जांच करें:


    टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों में, अपने वजन का सिर्फ 5% कम करना एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है।

    वजन कम करने से होने वाले लाभ:

    • रक्त शर्करा को कम कर सकते हैं,
    • रक्तचाप कम कर सकते हैं,
    • कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार कर सकते हैं,
    • कूल्हों, घुटनों, टखनों और पैरों पर तनाव कम होता हैं,
    • अधिक ऊर्जा देता हैं और सांस लेने में आसानी होती हैं,
    • किसी पोषण विशेषज्ञ या मधुमेह शिक्षक से सलाह लें कर वजन कम करने के स्वस्थ तरीके अपनाये जिन्हें आप जीवन भर कर सकें।

    6. स्वस्थ आहार लें:


    मधुमेह एक विकार है जिसके लिए आजीवन आहार प्रबंधन और नियंत्रण की आवश्यकता होती है।

    • कम मात्रा में खाएं और भोजन के बीच में कुछ स्वस्थ नाश्ता (स्नैक्स) बार-बार करें।
    • प्रोटीन, फाइबर और साबुत अनाज से भरपूर स्नैक्स लें, लेकिन वे वसा में कम और 100-150 कैलोरी से अधिक नहीं होयें।
    • अनुसार एडीए के दिशानिर्देशों के अनुसार, मधुमेह रोगियों को कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ खाने चाहिए जैसे कि सब्जी सैंडविच, बिस्कुट, नट और बीज जैसे सन बीज, कद्दू के बीज, बादाम और अखरोट, छाछ, स्किम्ड दूध, कम कैलोरी वाला पॉपकॉर्न, अंकुरित अनाज या फल खाये। लेकिन केला, चीकू, आम, मिठाईयों या चॉकलेट खायें से बचें।
    • जो लोग विशिष्ट प्रकार के ओरल हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट (ओएचए) या लघु-क्रियाशील इंसुलिन (4-6 घंटे के असरवाली) पर हैं तो उन्हें अपने साथ नाश्ता रखना बहुत आवश्यक हैं।
    • भोजन छुट्ने या न करने के कारण से कभी-कभी हाइपोग्लाइसीमिया का आघात हो सकता हैं। जैसे कि जब हम बाहर शॉपिंग करने या सुबह के समय अस्पताल में जांच कराने के लिये जाते हैं और दोपहर के भोजन के पहले का अल्पाहार छुट जाता हैं, यह तब होता हैं।
    • यह बहुत महत्वपूर्ण हैं कि आप बाहर जाते समय फलों या बिस्कुट के पैकेट अपने साथ ले जाएं और सही समय पर (मध्य सुबह या मध्य शाम) को इन्हें खाना याद रखना चाहिए। चूंकि लघु सक्रिय इंसुलिन इंजेक्शन का असर लगाने के 2-2.5 घंटे के बाद होता हैं, इसलिये उस समय आपको स्वस्थ नाश्ता करना बहुत आवश्यक हैं।

    7. अपने गुर्दे की कार्यप्रणाली की नियमित रूप से जाँच करवाएं:


    मधुमेह के कारण गुर्दे की शिथिलता या नेफ्रोपैथी हो सकती है। यह आवश्यक है कि रक्त यूरिया, सीरम क्रिएटिनिन, अनुमानित ग्लोमेरुलर छनने की दर (ईजीएफआर) के साथ-साथ मूत्र प्रोटीन जैसे गुर्दे के कार्य परीक्षण को वर्ष में कम से कम एक बार मापा और निगरानी (मॉनिटर) किया जाए। गुर्दे की शिथिलता के शुरुआती चरणों में, कोई लक्षण नहीं होते हैं और मूत्र प्रोटीन गुर्दे की बीमारी का पहला संकेत हो सकता है। चूंकि प्रारंभिक किडनी रोग का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है, इसलिए समस्या की जल्द पहचान करने के लिए गुर्दे के कार्य परीक्षण से गुजरना महत्वपूर्ण है।


    8. अपने आप को सक्रिय रखें:


    शारीरिक गतिविधि, स्वस्थ भोजन और उचित दवा के साथ मधुमेह को प्रबंधित करने में मदद करता है। योग और ध्यान मधुमेह के नियंत्रण और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

    योग के बाद विभिन्न लाभ देखे गए हैं जैसे:

    • उपवास और भोजन के बाद की रक्त शर्करा दोनों में महत्वपूर्ण कमी
    • लंबे समय तक अच्छी ग्लाइसेमिक स्थिति
    • दवा की आवश्यकता को कम करना
    • संक्रमण और कीटोसिस जैसी जटिलताओं को कम करना
    • फैटी एसिड में कमी
    • दुबले शरीर द्रव्यमान में वृद्धि और शरीर में वसा प्रतिशत में कमी।

    9. बाहर जाते समय हमेशा एक ग्लूकोज स्रोत साथ रखें:


    यह एक तेजी से काम करने वाला कार्बोहाइड्रेट है जो हाइपोग्लाइसीमिया की स्थिति में रक्त शर्करा के स्तर को तेजी से बढ़ाने में मदद करता हैं। यह निम्न रूप में हो सकता हैं

    • 3 चम्मच (15 ग्राम) ग्लूकोज के रूप में हो सकता है
    • 3 चम्मच (15 ग्राम) चीनी
    • 4 ग्लूकोज टैबलेट
    • ग्लूकोज जेल की 1 ट्यूब
    • नियमित शीतल पेय (कम कैलोरी, कम चीनी या डाइट वाला नहीं)
    • चीनी के साथ दूध
    • ½ कप फलों का रस
    • 1 बड़ा चम्मच शहद
    • 1 बड़ा चम्मच कॉर्न सिरप
    • 2 चम्मच किशमिश

    जब रक्त में ग्लूकोज का स्तर 70 एमजी / डीएल से नीचे चला जाता हैं, तब इसे तुरंत ऊपर लाया जाना चाहिए, इस मामले में एक त्वरित "ग्लूकोज स्रोत" अत्यधिक आवश्यक होता हैं।

    जो लोग मिठाईयों या चॉकलेट के शौकीन होते हैं, कभी-कभी वे खुद को हाइपोग्लाइसीमिया की ओर ले जाते हैं ताकि भोजन की इन निषिद्ध वस्तुओं का सेवन कर सकें। अक्सर वे यह जानते नहीं हैं कि मिठाई या वसायुक्त (घी या तेल या क्रीम) पदार्थ हाइपोग्लाइसीमिया के दौरान नहीं खाना चाहिये। ऐसे भोजन में पाया गया वसा आंतों से ग्लूकोज को अवशोषित करने में देरी करता हैं और रक्त शर्करा स्तर की वृद्धि में देरी करता हैं , जिससे हाइपोग्लाइसीमिया की दशा में शीध्र सुधार नहीं हो पाता हैं।

    बहुत सारे लोग अपने साथ त्वरित ग्लूकोज स्रोत रखने में विफल रहते हैं क्योंकि उन्हें लगता हैं कि भोजन हर जगह आसानी से उपलब्ध होता हैं, लेकिन यह धारणा गलत भी हो सकती हैं। लंबे समय तक रहने वाला हाइपोग्लाइसीमिया मस्तिष्क के ऊतकों या टिश्यु के लिये खतरनाक साबित हो सकता हैं। रोजमर्रा में कई ऐसी स्थितियां होती हैं जिनमें व्यक्ति को खाने के लिए कुछ भी नहीं मिल पाता, उदाहरण के लिये ट्रैफिक जाम, लिफ्ट में फंस जाना इत्यादि।


    10. ग्लूकागन इंजेक्शन को भरपूर मात्रा (स्टॉक) में रखें:


    ग्लूकागन इंजेक्शन उन हालतों में उपयोगी होता हैं, जब किसी बच्चे को गंभीर हाइपोग्लाइसीमिया हो जाता हैं और वह मुंह से कुछ भी निगलने या खाने में असमर्थ होता हैं। इस स्थिति में बच्चा कभी-कभी बेहोश भी हो सकता हैं। जहां मुंह से उपचार रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाने में सफल नहीं होता है, वहाँ ग्लूकागन को इंजेक्ट किया जाना चाहिए।

    • ग्लूकागन एक हार्मोन है जो यकृत को रक्त में ग्लूकोज छोड़ने का संकेत देता है, जिस से रक्त में ग्लूकोज के स्तर को बढ़ने में मदद मिलती हैं।
    • ग्लूकागन एक किट के रूप में आता है, जिसे इंजेक्शन लगाने से पहले निर्माता के निर्देशों के अनुसार प्रतिपादित या तैयार किया जाना चाहिए। इंजेक्शन लगाने के लगभग 10-15 मिनट में ही रक्त शर्करा का स्तर बढ़ने लगता हैं।


      11. पैरों की नियमित जांच:


      मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को उसके दैनिक जीवन में नियमित शारीरिक गतिविधि शामिल करने की सलाह दी जाती हैं। चूंकि मधुमेह, तंत्रिका क्षति का कारण हो सकता हैं। चोट लगने के कारण पैरों में अनुभूति की कमी और अन्य जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं। पैरों को स्वस्थ रखने के लिए कुछ सबसे जरूरी हैं कि अपन पैरों की त्वचा, परिसंचरण और तंत्रिका आपूर्ति की नियमित रूप से जांच करवाएं। चाहे आप पार्क में या ट्रेडमिल पर चले, लकिन सही जूते का चयन करना आपके लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं और यह किसी भी शारीरिक गतिविधि के लिए सबसे पहली आवश्यक शर्त हैं। मधुमेही व्यक्ति को विशेष रूप से निर्मित जूते खरीदने चाहिए, सही जूते का चयन करने के लिए निम्न सुझाव हैं:

      • गलत जूते पहनना, टखनों में तनाव या पैर दर्द का कारण बन सकते हैं जो आगे चलकर आपकी शारीरिक गतिविधि को समाप्त कर सकते हैं।
      • जूते में टखनों के लिये अच्छा सहारा और मुलायम अंदर से गद्दीदार (इनसोल) होना चाहिए।
      • सूती मोजे के साथ जगहदार जूते आदर्श हैं।
      • बहुत ढ़ीले, तंग और नुकीले पंजों वाले जूतों को पहनने से बचना चाहिए। बहुत सपाट तलवों या ऊँची एड़ी के जूते न पहनें क्योंकि वे पैर के दबाव को समान रूप से विभाजित नहीं होने देते हैं।
      • चमड़े या कैनवास के जूते पहनें ताकि हवा का सही संचार हो सके।
      • फीते, वेल्क्रो या बकल वाले जूते पहनें, क्योंकि इन जूतों को ढ़ीला या तंग बांधने में आसानी होती हैं।
      • कस्टम मेड फुटवियर प्राप्त करने के लिए डायबिटिक फुट विशेषज्ञों और प्रमाणित पीडोर्थिस्ट से सलाह लें।
      • यदि य़ह सुविधा आपके शहर में उपलब्ध नहीं तो विशेषज्ञों द्वारा मधुमेह-पैर के लिये बनाये गये सही डिजाइन के अनेक जूते बाजार में उपलब्ध हैं।

      12. यदि आप धूम्रपान करने वाले हैं तो सहायता प्राप्त करें:


      यदि आपको मधुमेह है तोधूम्रपान छोड़ दें, क्योंकि धूम्रपान मधुमेह की जटिलताओं और जोखिम को बढ़ाता है। यह रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित और इंसुलिन प्रतिरोध में वृद्धि कर सकता है।


      13. मधुमेह पहचान-पत्र हमेशा अपने पास रखें:


      मधुमेह पहचान-कार्ड एक ऐसा कार्ड हैं, जिसमें व्यक्ति के बारे में जानकारी जैसे उसका नाम, पता, आपातकालीन संपर्क नंबर,डॉक्टर का नाम, फोन नंबर और इंसुलिन की कितनी खुराक कितनी दी जाती हैं, इत्यादि होती हैं। यदि इसे विधिवत तरीके से भरा जाये तो, मधुमेह के रोगी को समय पर उपचार देकर उनके जीवन को बचाने में इससे काफी मदद मिल सकती हैं। जो रोगी पाँच वर्षों से ज्यादा मधुमेह से पीड़ित हैं, उन्हें हमेशा इसे अपने पास रखना चाहिए।
      कभी-कभी हाइपोग्लाइसीमिया के आघात के दौरान व्यक्ति ऐसी मानसिक स्थिति में नहीं होता हैं कि वह खुद को अभिव्यक्त कर सके या मदद की मांग कर सके। मधुमेह पहचान-कार्ड यह चिकित्सकीय पेशेवरों को भी आपातकाल स्थिति में सही उपचार प्रदान करने में मदद करता हैं।
      उदाहरण के तौर पर-
      श्री राव, एक मधुमेह रोगी हैं जो दिन में दो बार इंसुलिन लेते थे। उन्हें प्रति दिन लंबी सैर करने की आदत थी और उनकी रक्त शर्करा का स्तर अच्छी तरह नियंत्रित था। एक दिन सुबह सैर करते समय उन्हें हाइपोग्लाइसीमिया हो गया और वह बाग में बेहोश होकर गिर गये। आसपास के लोगों ने उनकी मदद करने के लिये, उनके बटुए की जांच कर उनके नाम और पते के बारे में पता लगाया। सौभाग्य से उनके बटुए में एक मधुमेह पहचान कार्ड मिला जो विधिवत भरा हुआ था। डॉक्टर के लिये यह जानकारी बहुत मूल्यवान साबित हुई, जिसके कारण उन्हें समय पर सटीक उपचार प्रदान कर के जान बचाई जा सकी।


      14. एक लॉग बुक बनायें :


      कई रक्त शर्करा मूल्यों, आहार के प्रकार, दवा, व्यायाम के विभिन्न तरीके (पैटर्न) और इंसुलिन की खुराक के बारे में विवरण याद रखना मुश्किल है; इसलिये लॉग-बुक में यह सारी जानकारी दर्ज करने से स्वास्थ्य देखभाल टीम के लिए नियंत्रण के स्तर की जांच करना और उसके अनुसार उपचार तय करना आसान हो जाता है।

      इसमें अलग-अलग दिनों में अलग-अलग समय पर रक्त शर्करा का स्तर क्या होता है और इसे प्रभावित करने वाली विभिन्न स्थितियाँ जैसे:

      • तनाव का स्तर
      • व्यायाम का प्रकार और अवधि
      • कार्बोहाइड्रेट या चीनी की खपत की मात्रा
      • दवाओं का प्रकार और खुराक इत्य़ादि।

      15. यदि आप मधुमेह रोगी हैं और गर्भ धारण करने की योजना बना रहे हैं:


      यदि आप मधुमेह रोगी हैं और बच्चा पैदा करने की योजना बना रहे हैं, तो अपने रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य सीमा के करीब लाने का प्रयास करें। गर्भवती। उच्च रक्त शर्करा का स्तर जन्म दोषों की संभावना को बढ़ा सकता है, जैसे कि हृदय, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में दोष और गर्भपात या बच्चे की मृत जन्म की संभावना को भी बढ़ा सकता है।

      मधुमेह के साथ स्वस्थ गर्भावस्था के लिए टिप्स:

      • शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए अपनी आहार-योजना में परिवर्तन करें,
      • नियमित शारीरिक गतिविधि करें,
      • नियमित रूप से दवाएं लें,
      • अपने मधुमेह को प्रबंधित करने के लिए विशेषज्ञ मधुमेह स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों से मिलें,
      • अपने रक्तचाप, गुर्दे की कार्यप्रणाली और दृष्टि की नियमित जांच करते रहें।

      16. भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक सहयोग:


      चूंकि मधुमेह एक आजीवन स्थिति है, इसलिए विशेषज्ञ स्वास्थ्य पेशेवरों के साथ अपने मुद्दों और चिंताओं पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है, ताकि वे आपको सही तरीके से समर्थन और सलाह दे सकें।

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