मधुमेह या मधुमेह मेलिटस (डीएम), एक अंतःस्रावी सह चयापचय संबंधी विकार है जो उच्च रक्त शर्करा का स्तर ( हाइपरग्लेसेमिया ) को बढ़ाता हैं और लंबे समय के बाद इसमें बार-बार पेशाब आना, प्यास का बढ़ना और भूख लगना जैसे लक्षण शामिल हो जाते हैं।
मधुमेह के तीन मुख्य प्रकार हैं:
एक सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के लिए, उपवास या फास्टिंग ब्लड शुगर लगभग 70-99 mg/dL और "पोस्ट" याने भोजन के दो घंटे बाद मापी जाने वाली रक्त शर्करा 140 मिलीग्राम/डीएल से कम होनी चाहिए। मिलीग्राम/ डीएल प्रारंभिक मधुमेह का सुझाव देता है। स्थापित मधुमेह वाले व्यक्तियों में, उपवास रक्त शर्करा 126 से अधिक है और प्रैन्डियल रक्त शर्करा 200 mg/dL से अधिक होती है।
दीर्घकालिक और अनियंत्रित मधुमेह की मुख्य जटिलताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
मधुमेह अपवृक्कता या नैफ्रोपैथी: गुर्दे को नुकसान, जिसके कारण ऊतक पर क्षतचिह्न हो जाते हैं, प्रोटीन की कमी हो जाती है, गुर्दे की गंभीर बीमारी हो जाती है, कभी-कभी डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है।
मधुमेह न्यूरोपैथी : नसों को नुकसान मधुमेह की सबसे आम जटिलता है और इसमें झुनझुनी, सुन्नता, दर्द और जैसे लक्षण शामिल हैं। दर्द संवेदना से त्वचा को नुकसान पहुंचता है। मधुमेह में पैर के अल्सर हो सकते हैं जिनका इलाज करना मुश्किल होता है और कभी-कभी विच्छेदन की आवश्यकता होती है।
हृदय रोग: मधुमेह हृदय रोगों के जोखिम को दोगुना कर देता है और मधुमेहियों में लगभग 75% मौतें कोरोनरी धमनी की बीमारी के कारण होती हैं। यह स्ट्रोक और परिधीय धमनी रोग का भी कारण बनता है।
संज्ञानात्मक कमी: मधुमेह के व्यक्तियों में संज्ञानात्मक या संवेदनात्मक कार्य में गिरावट की दर 1.2-1.5 गुना अधिक होती है।
प्रारंभिक मधुमेह का उपचार आहार, जीवन शैली और नियमित व्यायाम में संशोधन करके किया जा सकता है। यदि ये उपाय विफल हो जाते हैं, तो दवाईयों की आवश्यक हो सकती हैं। एक मधुमेही को कुछ दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए, जो विकार के प्रबंधन और जटिलताओं को रोकने में मदद करेंगे। मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति के लिए इन्हें मधुमेह के लिये आवश्यक या ‘जानने योग्य अनिवार्य तथ्य’ (डायबिटीज एसेंशियल या 'मस्ट नो फैक्ट्स') कहा जाता है। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जिसका अगर समय पर पता चल जाए, तो इसे नियमित जांच, निर्धारित दवाओं और जीवन शैली में परिवर्तन कर के आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
मधुमेह दुनिया भर में एक आम विकार हैं, जो सभी आयु वर्ग के पुरुषों और महिलाओं को प्रभावित करता हैं। अब नए उपकरणों की उपलब्धता के साथ, व्यक्ति अपने रक्त में शर्करा के स्तर पर कड़ा नियंत्रण एवं अल्पकालिक और दीर्घकालिक अवधि में होने वाली मधुमेह जटिलताओं से बचाव कर सकता हैं। इसके अतिरिक्त, इंसुलिन इंजेक्शन तकनीकी में निरंतर सुधार किया जा रहा हैं, जिससे यह कम दर्द देने वाली और उपयोग करने मे आसान हो गई हैं। मधुमेह से पीडित व्यक्ति के लिए कुछ अत्यावश्यक वस्तुएं हैं जो निम्न हैं:-
1. रक्त ग्लूकोज मीटर/ग्लूकोमीटर से रक्त शर्करा के स्तर की नियमित निगरानी:
रक्त में ग्लूकोज (SMBG)स्तर की स्वयं जांच करने के लिये यह सबसे उपयोगी उपकरण हैं। आज अनेकों ब्रैंड़ के विभिन्न प्रकार के घरेलू रक्त ग्लूकोज निगरानी (एचबीजीएम) ग्लूकोमीटर बाजार में उपलब्ध हैं।
ग्लूकोमीटर कैसे काम करता हैं?
वर्तमान में, बहुत सी कंपनियां और अनुसंधान समूह गैर-आक्रामक उपकरणों पर काम कर रहे हैं जैसे कि ग्लूकोट्रैक, ग्लूकोसेंस और ग्लूकोवाइज जो रक्त शर्करा के स्तर को दर्द रहित तरीके से निर्धारित कर सकते हैं।
HbA1c रक्त परीक्षण पिछले तीन महीनों में रक्त शर्करा नियंत्रण कितना प्रभावी रहा यह मापता है, इससे स्वास्थ्य देखभाल टीम को उपचार तय करनें में मदद मिलती है।
2. मधुमेह - केटोन स्ट्रिप से रक्त शर्करा के स्तर की नियमित निगरानी:
जिनके शरीर में इंसुलिन का निर्माण नहीं हो रहा हैं ऐसे टाइप I मधुमेह वालो के लिए यह बहुत जरूरी हैं । इंसुलिन के कम होने के कारण उनका शरीर कार्बोहाइड्रेट का उपयोग नहीं कर सकता, जो कि ऊर्जा का मुख्य स्रोत हैं। ऐसी स्थिति में, शरीर तब संग्रहित वसा से ऊर्जा प्राप्त करने का प्रयास करता हैं। इंसुलिन की अनुपस्थिति में वसा का टूटना शरीर में ‘केटोन (अम्लतरक्तता)'का निर्माण करता हैं और इस स्थिति को किटोसिस कहा जाता हैं। किटोसिस के विशिष्ट लक्षण मतली, उल्टी, सांस से फल की गंध आना और निर्जलीकरण हैं।
केटोन स्ट्रिप्स एक बोतल में उपलब्ध हैं, जिन पर विभिन्न रंग के कोड़ चिन्हित होते हैं। प्रत्येक रंग केटोन्स की मात्रा कितनी हैं यह दर्शाते हैं। यदि ऊपरोक्त वर्णित लक्षणों में से कोई एक भी लक्षण पाया जाये तो, एक केटोन स्ट्रिप को मूत्र में डुबो कर, स्ट्रिप के रंगीन हिस्से में होने वाले परिवर्तन को देखकर अम्लतरक्तता (केटोन्स) की जांच की जा सकती हैं। पेशाब में केटोन पाए जाने पर स्वास्थ्य देखभाल सेवा टीम को तुरंत सूचित करके उपचार प्राप्त करना अति आवश्यक हैं।टाइप I मधुमेह वाले बच्चे, जिन्हें दिन में कई बार इंजेक्शन या इंसुलिन पंप पर रखा जाता हैं उनके लिये यह स्ट्रिप्स बहुत आवश्यक हैं। यदि किसी कारणवश पंप काम करना बंद कर दे, ठंड या बीमारी के दौरान जब शरीर कोशिकाऐ इंसुलिन का तेजी से उपयोग करने लगती हैं, तब इंसुलिन की उच्च खुराक लेने की आवश्यकता हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में तत्काल निर्णय लेने में यह बहुत उपयोगी सिद्ध होती हैं ।
3. अपने रक्तचाप को नियमित रूप से मापें:
टाइप 1 मधुमेह वाले लगभग 25% और टाइप 2 मधुमेह वाले 80% लोगों में उच्च रक्तचाप होता है। यदि आप मधुमेह रोगी हैं, तो अपने रक्तचाप को अच्छी तरह से नियंत्रित रखने का प्रयास करें क्योंकि उच्च रक्तचाप से हृदय रोग, स्ट्रोक और कुछ अन्य जटिलताओं के विकास का खतरा बढ़ जाता है।
4. अपने रक्त वसा (लिपिड प्रोफाइल) को मापें:
अधिकांश मधुमेह रोगियों में उच्च सीरम कोलेस्ट्रॉल का स्तर होता है, जो कोरोनरी हृदय रोग और एथेरोस्क्लेरोसिस में योगदान देता है। मधुमेह उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) या अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है लेकिन ट्राइग्लिसराइड्स और कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) या खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाता है जिससे मधुमेह संबंधी डिस्लिपिडेमिया होता है।
5. अपने वजन की नियमित जांच करें:
टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों में, अपने वजन का सिर्फ 5% कम करना एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है।
वजन कम करने से होने वाले लाभ:
6. स्वस्थ आहार लें:
मधुमेह एक विकार है जिसके लिए आजीवन आहार प्रबंधन और नियंत्रण की आवश्यकता होती है।
7. अपने गुर्दे की कार्यप्रणाली की नियमित रूप से जाँच करवाएं:
8. अपने आप को सक्रिय रखें:
शारीरिक गतिविधि, स्वस्थ भोजन और उचित दवा के साथ मधुमेह को प्रबंधित करने में मदद करता है। योग और ध्यान मधुमेह के नियंत्रण और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
योग के बाद विभिन्न लाभ देखे गए हैं जैसे:
9. बाहर जाते समय हमेशा एक ग्लूकोज स्रोत साथ रखें:
यह एक तेजी से काम करने वाला कार्बोहाइड्रेट है जो हाइपोग्लाइसीमिया की स्थिति में रक्त शर्करा के स्तर को तेजी से बढ़ाने में मदद करता हैं। यह निम्न रूप में हो सकता हैं
जब रक्त में ग्लूकोज का स्तर 70 एमजी / डीएल से नीचे चला जाता हैं, तब इसे तुरंत ऊपर लाया जाना चाहिए, इस मामले में एक त्वरित "ग्लूकोज स्रोत" अत्यधिक आवश्यक होता हैं।
जो लोग मिठाईयों या चॉकलेट के शौकीन होते हैं, कभी-कभी वे खुद को हाइपोग्लाइसीमिया की ओर ले जाते हैं ताकि भोजन की इन निषिद्ध वस्तुओं का सेवन कर सकें। अक्सर वे यह जानते नहीं हैं कि मिठाई या वसायुक्त (घी या तेल या क्रीम) पदार्थ हाइपोग्लाइसीमिया के दौरान नहीं खाना चाहिये। ऐसे भोजन में पाया गया वसा आंतों से ग्लूकोज को अवशोषित करने में देरी करता हैं और रक्त शर्करा स्तर की वृद्धि में देरी करता हैं , जिससे हाइपोग्लाइसीमिया की दशा में शीध्र सुधार नहीं हो पाता हैं।
बहुत सारे लोग अपने साथ त्वरित ग्लूकोज स्रोत रखने में विफल रहते हैं क्योंकि उन्हें लगता हैं कि भोजन हर जगह आसानी से उपलब्ध होता हैं, लेकिन यह धारणा गलत भी हो सकती हैं। लंबे समय तक रहने वाला हाइपोग्लाइसीमिया मस्तिष्क के ऊतकों या टिश्यु के लिये खतरनाक साबित हो सकता हैं। रोजमर्रा में कई ऐसी स्थितियां होती हैं जिनमें व्यक्ति को खाने के लिए कुछ भी नहीं मिल पाता, उदाहरण के लिये ट्रैफिक जाम, लिफ्ट में फंस जाना इत्यादि।
10. ग्लूकागन इंजेक्शन को भरपूर मात्रा (स्टॉक) में रखें:
ग्लूकागन इंजेक्शन उन हालतों में उपयोगी होता हैं, जब किसी बच्चे को गंभीर हाइपोग्लाइसीमिया हो जाता हैं और वह मुंह से कुछ भी निगलने या खाने में असमर्थ होता हैं। इस स्थिति में बच्चा कभी-कभी बेहोश भी हो सकता हैं। जहां मुंह से उपचार रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाने में सफल नहीं होता है, वहाँ ग्लूकागन को इंजेक्ट किया जाना चाहिए।
11. पैरों की नियमित जांच:
मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को उसके दैनिक जीवन में नियमित शारीरिक गतिविधि शामिल करने की सलाह दी जाती हैं। चूंकि मधुमेह, तंत्रिका क्षति का कारण हो सकता हैं। चोट लगने के कारण पैरों में अनुभूति की कमी और अन्य जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं। पैरों को स्वस्थ रखने के लिए कुछ सबसे जरूरी हैं कि अपन पैरों की त्वचा, परिसंचरण और तंत्रिका आपूर्ति की नियमित रूप से जांच करवाएं। चाहे आप पार्क में या ट्रेडमिल पर चले, लकिन सही जूते का चयन करना आपके लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं और यह किसी भी शारीरिक गतिविधि के लिए सबसे पहली आवश्यक शर्त हैं। मधुमेही व्यक्ति को विशेष रूप से निर्मित जूते खरीदने चाहिए, सही जूते का चयन करने के लिए निम्न सुझाव हैं:
12. यदि आप धूम्रपान करने वाले हैं तो सहायता प्राप्त करें:
यदि आपको मधुमेह है तो
13. मधुमेह पहचान-पत्र हमेशा अपने पास रखें:
मधुमेह पहचान-कार्ड एक ऐसा कार्ड हैं, जिसमें व्यक्ति के बारे में जानकारी जैसे उसका नाम, पता, आपातकालीन संपर्क नंबर,डॉक्टर का नाम, फोन नंबर और इंसुलिन की कितनी खुराक कितनी दी जाती हैं, इत्यादि होती हैं। यदि इसे विधिवत तरीके से भरा जाये तो, मधुमेह के रोगी को समय पर उपचार देकर उनके जीवन को बचाने में इससे काफी मदद मिल सकती हैं। जो रोगी पाँच वर्षों से ज्यादा मधुमेह से पीड़ित हैं, उन्हें हमेशा इसे अपने पास रखना चाहिए।
कभी-कभी हाइपोग्लाइसीमिया के आघात के दौरान व्यक्ति ऐसी मानसिक स्थिति में नहीं होता हैं कि वह खुद को अभिव्यक्त कर सके या मदद की मांग कर सके। मधुमेह पहचान-कार्ड यह चिकित्सकीय पेशेवरों को भी आपातकाल स्थिति में सही उपचार प्रदान करने में मदद करता हैं।
उदाहरण के तौर पर-
श्री राव, एक मधुमेह रोगी हैं जो दिन में दो बार इंसुलिन लेते थे। उन्हें प्रति दिन लंबी सैर करने की आदत थी और उनकी रक्त शर्करा का स्तर अच्छी तरह नियंत्रित था। एक दिन सुबह सैर करते समय उन्हें हाइपोग्लाइसीमिया हो गया और वह बाग में बेहोश होकर गिर गये। आसपास के लोगों ने उनकी मदद करने के लिये, उनके बटुए की जांच कर उनके नाम और पते के बारे में पता लगाया। सौभाग्य से उनके बटुए में एक मधुमेह पहचान कार्ड मिला जो विधिवत भरा हुआ था। डॉक्टर के लिये यह जानकारी बहुत मूल्यवान साबित हुई, जिसके कारण उन्हें समय पर सटीक उपचार प्रदान कर के जान बचाई जा सकी।
14. एक लॉग बुक बनायें :
कई रक्त शर्करा मूल्यों, आहार के प्रकार, दवा, व्यायाम के विभिन्न तरीके (पैटर्न) और इंसुलिन की खुराक के बारे में विवरण याद रखना मुश्किल है; इसलिये लॉग-बुक में यह सारी जानकारी दर्ज करने से स्वास्थ्य देखभाल टीम के लिए नियंत्रण के स्तर की जांच करना और उसके अनुसार उपचार तय करना आसान हो जाता है।
इसमें अलग-अलग दिनों में अलग-अलग समय पर रक्त शर्करा का स्तर क्या होता है और इसे प्रभावित करने वाली विभिन्न स्थितियाँ जैसे:
15. यदि आप मधुमेह रोगी हैं और गर्भ धारण करने की योजना बना रहे हैं:
यदि आप मधुमेह रोगी हैं और बच्चा पैदा करने की योजना बना रहे हैं, तो अपने रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य सीमा के करीब लाने का प्रयास करें। गर्भवती। उच्च रक्त शर्करा का स्तर जन्म दोषों की संभावना को बढ़ा सकता है, जैसे कि हृदय, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में दोष और गर्भपात या बच्चे की मृत जन्म की संभावना को भी बढ़ा सकता है।
मधुमेह के साथ स्वस्थ गर्भावस्था के लिए टिप्स:
16. भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक सहयोग:
चूंकि मधुमेह एक आजीवन स्थिति है, इसलिए विशेषज्ञ स्वास्थ्य पेशेवरों के साथ अपने मुद्दों और चिंताओं पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है, ताकि वे आपको सही तरीके से समर्थन और सलाह दे सकें।
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