उच्च फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप (एचएफसीएस) एक मकई-आधारित स्वीटनर है जिसे वांछित मिठास पैदा करने के लिए इसके सुक्रोज को फ्रुक्टोज में बदलने के लिए संसाधित किया गया है। इसका उपयोग ज्यादातर शीतल पेय और सेंके हुआ हुए पदार्थो में चीनी के विकल्प के रूप में किया जाता है। एचएफसीएस की कई किस्में हैं जो उनकी फ्रुक्टोज सामग्री पर निर्भर करती हैं। उदाहरण के लिए, HFCS42 में 42 प्रतिशत फ्रुक्टोज और 53 प्रतिशत ग्लूकोज होता है। शीतल पेय और फलों के पेय में उपयोग किए जाने वाले HFCS55 में 55 प्रतिशत फ्रुक्टोज और 42 प्रतिशत ग्लूकोज होता है।
HFCS का उपयोग 1960 के दशक के अंत में शुरू किया गया था, जो विभिन्न खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में 40 प्रतिशत से अधिक मिठास का प्रतिनिधित्व करता है। एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में यह शीतल और फलों के पेय के लिए एकमात्र कैलोरी स्वीटनर के रूप में प्रयुक्त होता है।
हालांकि HFCS को अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) द्वारा 'आम तौर पर सुरक्षित के रूप में मान्यता प्राप्त' (GRAS) का दर्जा दिया गया है, लेकिन कई अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि HFCS को दुनिया में मोटापे के बढ़ते प्रसार से जोड़ा जा सकता है। अमेरिका में पेनिंगटन बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर ने ऐसे ही एक अध्ययन में पाया गया कि मीठे पेय पदार्थों, विशेष रूप से एचएफसीएस मिठास से बने पेयों की अधिक खपत हो सकती है, जो सीधे वजन बढ़ने और मोटापे से संबंधित है, जिसके परिणामस्वरूप टाइप -2 मधुमेह हो सकता है।
इसी तरह, फ्रुक्टोज भी एक मोनोसैकराइड चीनी है लेकिन यह ग्लूकोज से इस मायने में अलग है कि यह अधिकांश फलों में प्राथमिक कार्बोहाइड्रेट बनाता है। हालांकि, फ्रुक्टोज इंसुलिन स्राव को उत्तेजित नहीं करता है, जिसका अर्थ है, फ्रुक्टोज को कोशिकाओं में ले जाने के लिए इंसुलिन की आवश्यकता नहीं होती है। इंसुलिन प्रतिरोध के लिए यह एक आदर्श नुस्खा हैं !
पहले के अध्ययनों से यह पता चला था कि फ्रुक्टोज आसानी से फैटी एसिड में परिवर्तित हो जाता है लेकिन फ्रुक्टोज की खपत और इंसुलिन प्रतिरोध के बीच की कड़ी गायब थी। अब विकसित हो रहे शोध से पता चलता है कि शरीर अन्य प्रकार के शर्करा की तुलना में एचएफसीएस के प्रति अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है।
येल यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने SREBP-1 के स्तर और अन्य वसा-निर्माण जीन को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार जीन (PGC-1beta) की खोज की, जो लीवर में लिपिड का निर्माण को नियंत्रित करते हैं। फ्रुक्टोज के अधिक सेवन से पीजीसी-1बीटा की गतिविधि बढ़ जाती हैं, जिससे लीवर में फ्रुक्टोज वसा फैट में परिवर्तित हो जाता हैं, जिससे गैर-अल्कोहल फैटी लीवर रोग (एनएएफएलडी) हो कर यह इंसुलिन प्रतिरोध और फिर टाइप -2 मधुमेह की ओर अग्रसर हो जाता है।
चूंकि मधुमेह के लिए रक्त शर्करा और इंसुलिन के स्तर पर सख्त नियंत्रण की आवश्यकता होती है, इसलिए सुरक्षित बात तो यह होगी कि एचएफसीएस वाले शर्करा रहित सोडा या फलों के पेय और अन्य पेय पदार्थो के सेवन या खपत को प्रतिबंधित कर इनका उपयोग सीमित करें।