कोरोना वायरस जानवरों से मनुष्यों में (ज़ूनोसिस) , मनुष्यों से जानवरों (रिवर्स ज़ूनोसिस) , के बीच स्थानांतरित होते रहते हैं।
सारस़ (SARS), मरस़(MERS) और 2019-nCoV जैसे घातक मामले संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने से होते हैं। विशेष रूप से बहती नाक, छींक या खांसी के माध्यम से वायरस का संचरण होता हैं। संक्रमित व्यक्तियों के मूत्र, श्वसन की बूंदें, पसीना, या मल में संक्रामक वायरल कण होते हैं। ये वायरल कण पर्यावरण को दूषित करते हैं और जो भी इस के संपर्क में आते हैं वे इस से ग्रस्त हो जाते हैं। सब से महत्वपूर्ण हैं कि अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करे, जैसे कि हाथ धोना, जानवरों के साथ असुरक्षित संपर्क से बचना इत्यादि ।
अस्पताल वायरस (नोसोकोमियल संक्रमण) के प्रसार के लिए एक प्रमुख स्थान हैं, क्योंकि संक्रमित व्यक्ति श्वास संबंधी संकट से ग्रस्त होते हैं। निदान में देरी, वायरस को अस्पताल के कर्मचारी, परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों को जो स्वास्थ्य सेवा इकाई के दायरे में आते हैं, उनमें फैलने का समय देती है। कमजोर श्वास संबंधित बीमारी वाले व्यक्ति संक्रमण के मुख्य रोगाणुवाहक या प्रेषक होते हैं, क्योंकि यह वायरस उस क्षेत्र को ही प्रभावित करता हैं।